दोस्ती की परिभाषा क्या है जाने इस लेख से

0 328
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

दोस्ती एक ऐसा शब्द है जो मन में एक अलग ही ऊर्जा भर देता है l कई सारी यादें ताजा कर देता है, यादें जो सिर्फ मन को रोमांचित कर देती हैं l मन को असीम आनंद से भर देता है l दोस्ती न रंग देखती है, न रूप, न दौलत देखती है l

भारत में हर साल अगस्त के पहले रविवार को विश्व मित्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आज के आधुनिक युग में ही नहीं, यह किस पौराणिक युग से बचा है? मित्रता के उदाहरण हैं श्रीराम चंद्र और सुग्रीव, श्रीकृष्ण और सुदामा। श्रीराम की मदद के लिए जहां सुग्रीव ने सीता को लंका से लाने के लिए अपनी सारी ताकत लगा दी थी। आइए इसका उदाहरण लेते हैं सुदामा की दोस्ती… कृष्ण और सुदामा की कई ऐसी कहानियां हैं जिनमें एक-दूसरे के प्रति समर्पण, प्रेम और सम्मान देखने को मिलता है।
कृष्ण सुदामा की मित्रता का प्रमाण तो पूरी दुनिया देती है। लेकिन जब उनकी मित्रता की चर्चा होती है तो मन भावुक हो जाता है। एक दिन बालक के गुरुकुल में पढ़ाई पूरी करने के बाद कृष्ण और सुदामा अपने-अपने गंतव्य की ओर चल दिए। राजनेता बने और बन गए। द्वारिका के राजा बाद में सुदामा का विवाह युवावस्था में ही हो गया और उनका जीवन दुख में व्यतीत हुआ। सुदामा के आने की खबर सुनकर वे अपने मित्र को लाने के लिए नंगे पैर दौड़ पड़े।
सुदामा की दीन-हीन हालत देखकर कृष्ण की आंखों से आंसू बह निकले, इतने समय बाद अपने मित्र को अपने करीब देखकर श्रीकृष्ण अपने बचपन में चले गए। सुदामा ने सोचा कि कहां उसका मित्र राजा है और कहां वह एक गरीब ब्राह्मण है। तब उसने सुदामा से पूछा कि तुम्हारे पास क्या है? मुझे मित्र ले आए। बदले में, सुदामा ने अनिच्छा से श्रीकृष्ण को अपनी पत्नी द्वारा दिए गए तले हुए चावल का एक कटोरा दिया।
तले हुए चावल जिसमें थोड़ा स्नेह, कुछ रिश्तेदारी और ढेर सारी आत्मीयता थी। तले हुए चावल खोलकर पहली मुट्ठी खाने के बाद उन्होंने एक व्यक्ति की संपाति सुदामा को दी। फिर दूसरी मुट्ठी खाई और दूसरे व्यक्ति की संपाति दी। जब वह बड़े हुए ऊपर जाकर उसकी सौतेली माँ रुक्मिणी ने उसका हाथ पकड़ लिया, यह देखकर सभी आश्चर्यचकित रह गये
तब रुक्मिणी ने कहा, “भगवान, आप पहले ही सुदामा को 2 मुट्ठी में 2 लोगों का दान दे चुके हैं। अब केवल एक ही व्यक्ति बचा है। यदि आप एक मुट्ठी तले हुए चावल खाएंगे और एक और व्यक्ति को दान देंगे, तो बाकी सभी जानवर डेका के पास कहां जाएंगे।” देवी?” रुक्मिणी ने यह सुना। श्रीकृष्ण रुक गए
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.