भारत के इस मंदिर में है अजीब प्रथा, लोग अपने पालतू कुत्तों को यहां नामकरण के लिए लाते हैं
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके बारे में जानने के बाद आप सोच में पड़ जाएंगे कि लोगों की कैसी-कैसी मान्यताएं हैं। यदि कोई भारत के दक्षिणी प्रांतों की पड़ताल करे तो कई मान्यताएं और रीति-रिवाज हैं जिनके बारे में हर कोई नहीं जानता है। आइए आज हम आपको केरल की एक अनोखी जगह पर ले चलते हैं, जहां की प्रथा के बारे में जानकर आप हैरान रह जाएंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल के कन्नूर जिले में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग अपने कुत्तों को लाकर उनका नाम रखते हैं। यह जानकर हजारों लोग भ्रमित हो गए, लेकिन यह प्रथा बिल्कुल सही है।
मुथप्पन मंदिर भारत के इस राज्य में है
कन्नूर में तलिपरम्बा से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर वल्लपट्टनम नदी है, जिसके किनारे एक मंदिर है। यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मंदिर का नाम मुथप्पन मंदिर है। कहा जाता है कि लोग अपने पालतू कुत्तों को दूर-दराज के इलाकों से यहां लाते हैं और फिर यहां नामकरण करवाते हैं। जानकारी के अनुसार यहां कुत्तों का नाम थिरुवप्पन वेल्लट्टम परंपरा के दौरान रखा गया है। इस बारे में अधिक जानकारी मंदिर प्रशासन के एक अधिकारी ने यहां दी। उन्होंने कहा कि यहां कुत्ते के नामकरण संस्कार का आयोजन किया जाता है। इसके लिए किसी शुल्क या रसीद की जरूरत नहीं है।
यहां पालतू कुत्तों के नाम रखे गए हैं
थिरुवप्पन वेल्लट्टम परंपरा के दौरान, कोई भी अपने पालतू कुत्ते को इस मंदिर में ला सकता है और यहां उनका आशीर्वाद ले सकता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि शनिवार और रविवार को यहां काफी भीड़ रहती है। यहां के पुजारी को मुथप्पन तेय्यम कहा जाता है और नामकरण के दौरान वह कुत्ते के कान में कुछ फुसफुसाते हैं और अंत में उसे प्रसाद खिलाते हैं। ऐसा करने के बाद, यम पालतू जानवर को उसके मालिक को सौंप देता है।
भक्त ताड़ी और तली हुई मछली का भोग लगाते हैं
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मुथप्पन को गरीब और मेहनतकश लोगों का भगवान माना जाता है। भगवान मुथप्पन को ताड़ी और तली हुई मछली का भोग लगाया जाता है। लोग इनका लुत्फ उठा रहे हैं। सबसे खास बात यह है कि कुत्तों को मुथप्पन का साथी माना जाता है। यही वजह है कि इस मंदिर में कुत्तों की भी पूजा की जाती है। स्थानीय लोग भगवान मुथप्पन को एक धर्मनिरपेक्ष देवता मानते हैं।