बाबा रामदेव पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- ‘माफी स्वीकार नहीं, कार्रवाई के लिए रहें तैयार’

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कोरोना की दवा कोरोनिल को लेकर पतंजलि आयुर्वेद द्वारा दिए गए भ्रामक विज्ञापनों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फिर सख्त रुख दिखाया। कोर्ट ने इस मामले में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की माफी खारिज कर दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम अंधे नहीं हैं, हम सब कुछ देख और समझ रहे हैं. कोर्ट ने बाबा रामदेव और पतंजलि के माफी मांगने वाले दूसरे हलफनामे को खारिज कर दिया और कहा कि आपको मानहानि की कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि हम आपसे सहमत नहीं हैं. हम इस माफ़ी को अस्वीकार करते हैं. इस पर बाबा रामदेव और पतंजलि का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि हमें 10 दिन का समय दीजिए फिर हम अगली सुनवाई में बात करेंगे.

 

दरअसल, योग गुरु रामदेव पहले ही इस मामले में माफी मांग चुके हैं और कोर्ट से कह चुके हैं कि वह इन विज्ञापनों पर रोक लगा देंगे. इसके बाद भी ये विज्ञापन जारी रहे, जिस पर कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि माफी कागज पर है. आपने उसके बाद भी चीजें जारी रखीं। अब हम आपकी माफ़ी को अस्वीकार करते हैं और आगे की कार्रवाई के लिए तैयार रहें।

इतना ही नहीं बेंच में शामिल जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि हम अंधे नहीं हैं. इस पर पतंजलि का बचाव करते हुए वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि लोग गलतियां करते हैं. इस दलील के जवाब में बेंच ने कहा कि अगर लोग गलती करते हैं तो उन्हें इसका परिणाम भी भुगतना पड़ता है. हम इस मामले में इतनी ढिलाई नहीं बरतेंगे.’ जैसे ही अदालत की कार्यवाही शुरू हुई, मुकुल रोहतगी ने बाबा रामदेव का बयान पढ़ा और कहा कि वह बिना शर्त माफी मांगते हैं। जस्टिस कोहली ने केंद्र सरकार पर भी सख्ती दिखाई और कहा कि आपने जानबूझकर मामले को रफा-दफा किया और उल्लंघन करने वालों के साथ दिखे. कोर्ट ने कहा कि आपके अधिकारियों ने इस मामले में कुछ नहीं किया है.

आपको बता दें कि इस मामले में आज केंद्र सरकार ने भी हलफनामा दाखिल किया है. सरकार ने कहा कि हमने पहले ही पतंजलि आयुर्वेद को इन भ्रामक विज्ञापनों के बारे में चेतावनी दी थी और आयुष मंत्रालय द्वारा कोरोनिल की जांच होने तक आगे नहीं बढ़ने को कहा था। इतना ही नहीं सरकार ने कहा कि हमने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से इस मामले में कार्रवाई करने को कहा है.

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