राजस्थान – राजस्थान चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ने को तैयार हूं लेकिन…’

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राजस्थान- राजस्थान में चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है. राजस्थान में सभी पार्टियां अपने स्टार प्रचारकों को मैदान में उतारने की तैयारी भी कर रही हैं. इन सबके बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएम पद को लेकर बड़ा बयान दिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वह सीएम की कुर्सी छोड़ने को तैयार हैं लेकिन सीएम पद की जिम्मेदारी नहीं छोड़ेंगे.

मैं सचिन पायलट का समर्थन करता हूं

सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत ने कहा कि मैं खुद सचिन पायलट का समर्थन करता हूं. उनके समर्थक विधायकों को टिकट मिलेगा. कुछ को छोड़कर सभी को टिकट मिलेगा. इसके साथ ही जब उनसे पूछा गया कि क्या वह चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे तो उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी ने मुझे पहली बार मुख्यमंत्री बनाया था.

मुख्यमंत्री पद का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नहीं बनते. हमारी पार्टी में पद और जिम्मेदारियां आलाकमान तय करता है. मैं खुद मुख्यमंत्री का पद छोड़ना चाहता हूं लेकिन यह पद मुझे नहीं छोड़ता.

विकल्प होने पर ही अभ्यर्थी बदले जायेंगे

सीएम अशोक गहलोत ने आगामी चुनाव में टिकट वितरण पर भी अपने विचार व्यक्त किये. उन्होंने कहा कि हम किसी का टिकट तभी बदलेंगे जब हमारे पास कोई वैकल्पिक उम्मीदवार होगा. बेहतर विकल्प होने पर ही टिकट बदले या रद्द किए जाएंगे। राजस्थान में हालिया राजनीतिक घटनाक्रम का जिक्र करते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि विपक्ष ने मेरी बात को मुद्दा बना लिया, मैं सिर्फ इतना कहना चाहता था कि कैलाश मेघवाल और वसुंधरा राजे लोकतंत्र विरोधी नहीं हैं. मुझे नहीं पता इसका मतलब क्या था.

सीएम अशोक गहलोत ने कुछ दिन पहले बीजेपी पर निशाना साधा था

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सीएम अशोक गहलोत ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा था और आरोप लगाया था कि बीजेपी मुख्यालय में ‘रेड डायरी’ की साजिश रची गई थी, लेकिन वह नाकाम हो गई. सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार गिराने की ‘लाल डायरी’ से जुड़ी साजिश में अमित शाह, जेपी नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, गजेंद्र सिंह शेखावत और जफर इस्लाम शामिल थे. उन्होंने कहा कि वे (बीजेपी) चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंक रहे हैं, उन्हें सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. उन्होंने महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में चुनी हुई सरकारों को उखाड़ फेंका, फिर चुनाव का क्या मतलब है?

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