9 दिसंबर से शुरू हो रहा है पौष मास, जानिए इस महीने में क्या करें और क्या न करें
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक माह का अपना महत्व होता है। मार्गशीर्ष मास समाप्त होते ही पौष मास प्रारंभ हो जाएगा। इसे हिंदू कैलेंडर के अनुसार दसवां महीना माना जाता है। इस मास में भगवान सूर्य सहित भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इसके साथ ही इस महीने को छोटा पितृ पक्ष भी कहा जाता है। इसलिए इस मास में पिंडदान, श्राद्ध, तर्पण करना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे परिवार के सदस्यों के लिए सुख-समृद्धि लाते हैं। जानिए पौष मास में क्या करें और क्या न करें।
पौष मास प्रारंभ
पौष मास 2022 कब कब
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, नया साल 9 दिसंबर से शुरू होता है और 7 जनवरी 2023 को समाप्त होता है।
पौष मास में करें यह काम
शास्त्रों के अनुसार पूरे पौष मास में भगवान सूर्य की आराधना करें। इसके साथ ही ‘ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करें।
पौष मास में प्रतिदिन सूर्य देव को जल अर्पित करना शुभ रहेगा। जल में सिंदूर, लाल फूल और थोड़ा सा अक्षत डालें।
पौष मास में भगवान विष्णु की पूजा करना भी शुभ माना जाता है। ऐसे में नियमित पूजा के साथ गीता और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए इस मास में लाल या पीले वस्त्र धारण करें। इससे अच्छे परिणाम आएंगे।
पौष मास में दान का विशेष महत्व होता है। इसलिए इस महीने में जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, गुड़, तिल आदि का दान करें।
पितरों की शांति के लिए इस महीने में तर्पण, पिंडदान आदि करना शुभ माना जाता है।
पौष मास में गुड़ का सेवन करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा लौंग, अदरक, अजवाइन जैसी गर्म चीजों का सेवन करें।
पौष मास में यह कार्य न करें
मांस और शराब को छोड़कर पोष मास में बैंगन, मूली, मसूर की दाल, फूलगोभी, उड़द की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। इसका सेहत पर बुरा असर पड़ता है।
पौष मास में चीनी का सेवन न करें।
पौष मास में खरमास की शुरुआत हो जाती है इसलिए किसी भी तरह के शुभ कार्य करना वर्जित होता है।
खरमास में कोई भी नया काम या व्यापार बिल्कुल भी शुरू न करें।