मोदी सरकार का बड़ा फैसला, अमेरिका से चावल दाल मिलेगी 22 फीसदी सस्ती!

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बढ़ती महंगाई के बीच मसर दाल भी आम आदमी की थाली से खिसकती नजर आ रही है, इससे पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने बड़ा फैसला लिया है, सरकार ने अमेरिका से आयात होने वाली मसूर दाल पर लगने वाले सीमा शुल्क को माफ कर दिया है. इसके अलावा देश के भीतर दालों के अवैध भंडारण पर भी रोक लगा दी गई है.

दरअसल, सरकार की मंशा सभी संभावित स्रोतों से दालों की आपूर्ति सुनिश्चित करने की है। घरेलू बाजार में दालों की कीमतें आसमान छू रही हैं. जाहिर है सिर्फ एक महीने में तुअर दाल की कीमतों में 25 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसकी वजह मोजाम्बिक से तुअर दाल के आयात में देरी है. अगस्त में केसर की फसल की आवक में भी देरी हुई, जिससे मैंग्रोव की आपूर्ति भी प्रभावित हुई। व्यापार मंडल ने मूंग दाल का आयात करने का भी सुझाव दिया है.

फिलहाल भारत सरकार अमेरिका से आने वाली दालों पर 22 फीसदी सीमा शुल्क यानी आयात शुल्क लगाती है. यह फैसला अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत दौरे से एक दिन पहले लागू किया गया है. मोदी सरकार ने 6 सितंबर, 2023 से दालों पर 22 प्रतिशत आयात शुल्क को खत्म कर शून्य कर दिया है। इस फैसले के बाद अमेरिका में पैदा होने वाली दालें सीधे अमेरिका से वापस लाई जा सकेंगी. अब इसे कनाडा के रास्ते भारत लाने की जरूरत नहीं पड़ेगी.

सरकार ने देश में दालों के स्थानीय स्टॉक को लेकर भी सख्त निर्देश जारी किये हैं. दालों की कालाबाजारी और अवैध भंडारण को रोकने के लिए साप्ताहिक स्टॉक रिपोर्टिंग अनिवार्य कर दी गई है। इससे घरेलू बाजार में दालों की आपूर्ति सुनिश्चित होगी. सरकार दालों के सभी स्थानीय स्टॉक पर कड़ी नजर रखने के लिए एक टीम भी गठित कर रही है, जो हर हफ्ते अपनी रिपोर्ट देगी.

दालों की कीमतें इसलिए बढ़ रही हैं क्योंकि पिछले साल खराब मौसम के कारण दालों की पैदावार बहुत कम हुई थी और इस साल भी बारिश और खराब मौसम का असर दलहन की फसल पर पड़ने की आशंका है. लगातार दो साल से दालों का उत्पादन कम होने से घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति प्रभावित हो रही है और महंगाई लगातार बढ़ रही है.

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