यह जानकर आप आगरा जरूर जाओगे
दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर की दूरी पर स्थित आगरा एक ऐतिहासिक पर्यटन स्थल है। मुगलकाल में आगरा मुगल सम्राजय की राजधानी बन कर प्रसिद्ध हुआ। 1526 में यह मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के हाथों में आया था। 1571 में अकबर ने आगरा में एक किले का निर्माण करवाया। जहांगीर और शाहजहां के शासनकाल में आगरा नगर चारदीवारी से घिरा था जिसमें 16 प्रवेशद्वार थे।
ताजमहल

आगरा के दर्शनीय स्थलों में यह सब से अधिक लोकप्रिय है। यमुना तट पर सफेद संगमरमर से बनी यह इमारत शाहजहां और उसकी बेगम मुमताज के प्यार की यादगार है जो 1653 में बनकर तैयार हुई थी। इसके निर्माण में लगभग 22 वर्ष का समय लगा था। ताजमहल के प्रवेशद्वार पर कुरान की आयतें उत्कीर्ण हैं और ऊपर की ओर कई छोटेछोटे गुंबद बने हैं। ताजमहल की रूपरेखा ईरान के वास्तुविद उस्ताद ईसा ने बनाई थी।
फतेहपुर सीकरी

आगरा से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण फतेहपुर सीकरी का निर्माण मुगल बादशाह अकबर ने करवाया था। अकबर का यह वह सपना है जिसे उसने अपने शासन के चरम काल में देखा था।
बुलंद दरवाज़ा

बादशाह अकबर के शासन की बुलंदियों का प्रतीक यह दरवाज़ा एक दर्शनीय स्थल है, जिस का निर्माण बादशाह ने गुजरात विजय के उपलक्ष में करवाया था। यह 176 फुट ऊँचा दरवाज़ा है।
दीवान-ए-खास

यहाँ पर मुगल सम्राट अकबर अकसर अपने नवरत्नों से मंत्रणा किया करता था। यह इमारत बाहर से देखने में एक मंज़िला प्रतीत होती है मगर अंदर से दो मंज़िला है। इस महल के बीच एक नक्काशीदार खंभा है जिसे देखकर सैलानी अचंभित रह जाते हैं।
ख्वाब महल

यह कभी सम्राट अकबर का शयनागार था। इस महल में शाम को नृत्य व संगीत की महफिलें लगती थीं। महल में एक खूबसूरत मंच भी है। कहा जाता है कि इसी मंच पर ‘तानसेन’ और ‘बैजू बावरा’ के बीच संगीत कार्यक्रम का ज़ोरदार मुकाबला हुआ करता था।