जानिए क्यों सीट बेल्ट लगाना जरुरी है और एयर बैग से इसका क्या कनेक्शन है?
हम जब भी कहीं जाते हैं तो लोगों को कार या बस में जाते हुए देखते हैं, इनमें से कई लोग सीट बेल्ट पहने होते हैं और कई अन्य सीट बेल्ट नहीं पहने होते या मात्र एक दिखावा कर रहे होते हैं| सीट बेल्ट का क्या काम है, कैसे बनायीं गयी और क्यों अनिवार्य है आइये जाने इस बारे में:
सीट बेल्ट की शुरुआत
1950 के दशक में सुरक्षा के लिए फार्मूला1 और अन्य रेसिंग चैंपियनशिप में सेफ्टी हार्नेस का इस्तेमाल होता था जिसको देख के कारों में भी वेस्ट 2-पॉइंट स्ट्रेप लगाया गया, ये दो जगह फिक्स होता था लेकिन ये फायदेमंद न होकर नुकसानदायक था; कई बार गंभीर दुर्घटना न होने पर भी ये यात्री को गंभीर रूप से चोटिल कर देता था| इसके नुकसानदायक होने का मुख्य कारण इसका 2-पॉइंट पर फिक्स होना था जो झटका लगते वक़्त चोट पहुचाता था|
1959 में वॉल्वो कंपनी के इंजिनियर निल्स बोह्लिन ने 3-पॉइंट सीट बेल्ट का आविष्कार किया, जिसे हम आज भी इस्तेमाल करते हैं, बाद में नील्स बोह्लिन को रॉयल स्विस अकादमी ने गोल्ड मेडल भी दिया| वॉल्वो कंपनी ने इस अविष्कार के मानवीय फायदे देखते हुए इसको रिलीज़ किया जिस से सभी कंपनी इसे सुरक्षा के लिए इस्तेमाल कर सकें|
कैसे काम करती है सीट बेल्ट
सीट बेल्ट आपको दुर्घटना के समय कई बड़ी चोटों से बचा सकती है| ज्यादा गति पर चल रहे वाहन जब टकराते हैं तो उनमे बैठे हुए यात्री आगे की तरफ झटके के साथ गिरते और टकराते हैं, सीट बेल्ट पहने होने पर सीट बेल्ट यात्रिओं को आगे जाने से रोकता है और टकराने से होने वाली चोटों से भी रोकता है| इसके साथ ही साथ गाड़ियों में आने वाले एयरबेग भी सीट बेल्ट उपयोग करने पर ही काम करते हैं|
भारत सरकार का नियम:
भारत सरकार ने अपने केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम 1989 के नियम 125-1 में हर वाहन निर्माता (दो-पहिया और तीन-पहिया छोड़कर) को सीट बेल्ट देना अनिवार्य किया है
कब करें सीट बेल्ट का इस्तेमाल:
वाहन में बैठके इग्निशन ऑन करने से पहले सीट बेल्ट पहन लें, यह आपको सुरक्षा तो देगा ही साथ ही आत्मविश्वास भी जागृत करेगा|
अंत में, मैं यह आग्रह करना चाहूँगा की आप हमेशा सीट बेल्ट पहने और सुरक्षित सफ़र का आनंद लें|