चंद्रयान के बाद अब सूर्य पर जाने की तैयारी में इसरो, अगले महीने लॉन्चिंग संभव

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इसरो आदित्यएल1 मिशन सूर्य इसरो देश का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 लॉन्च करने के लिए पूरी तरह तैयार है। सौर अवलोकन के लिए भेजे जा रहे इस उपग्रह के सभी पेलोड का परीक्षण पूरा हो चुका है। जल्द ही अंतिम समीक्षा की जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, अगर सब कुछ ठीक रहा तो 23 अगस्त को चंद्रयान-3 की लैंडिंग के बाद या सितंबर के शुरुआती दिनों में इसे अंतरिक्ष में भेजा जा सकता है.इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि आदित्य एल-1 से सोलर कोरोनल इजेक्शन का विश्लेषण किया जाएगा. इसका अध्ययन केवल सूर्य ग्रहण के दौरान ही किया जा सकता है। ये बहुत से हमारे संचार नेटवर्क हैं और इलेक्ट्रॉनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है पृथ्वी पर ऊर्जा का एकमात्र स्रोत सूर्य है, जो हमारे सौर मंडल का सबसे निकटतम तारा है। सूर्य की किरणें पृथ्वी पर 8 मिनट में पहुँचती हैं। बाकी तारे इतने दूर हैं कि उनकी किरणें पृथ्वी तक पहुँचती हैं इसमें 4 साल लगते हैं

आदित्य एल-1 कुल सात उपकरण (वीईएलसी, सूट, एएसपीईएक्स, पापा, सोलेक्स, हेल 10एस और मैग्नेटोमीटर) ले जाएगा, जिनमें से चार सीधे सूर्य से पृथ्वी की ओर आने वाले ऊर्जावान कणों का विश्लेषण करेंगे और पता लगाएंगे कि ये कण पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में कैसे फंस जाते हैं। सूर्य के किनारों पर कोरोनल इजेक्शन कैसे हो रहा है और इसकी तीव्रता क्या है? इससे सूर्य की गति की भविष्यवाणी करने की क्षमता विकसित हो सकती है।

अमेरिका, जर्मनी, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने सूर्य का पता लगाने के लिए दुनिया भर से 22 मिशन भेजे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सबसे ज्यादा मिशन भेजे हैं. नासा ने 1960 में पहला सूर्य मिशन पायनियर-5 भेजा था। जर्मनी ने नासा के सहयोग से अपना पहला सूर्य मिशन 1974 में भेजा था। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी ने नासा के सहयोग से अपना पहला मिशन 1994 में भेजा था

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