क्या आपके बच्चे पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते तो करें ये वास्तु उपाय, मिलेगा फायदा
नई दिल्ली, 09 जुलाई: एक घर वास्तुदोष अगर, घर के व्यक्तियों में तो समस्याओं की प्रगति (समस्या प्रगति में) आती है। दैनिक जीवन में भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है । वास्तुशास्त्रानुसार सब कुछ शक्ति है। इसलिए इसका व्यक्ति के जीवन पर सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। वास्तुदोष का प्रभाव बच्चों की पढ़ाई पर भी पड़ता है।
माता-पिता के लिए बच्चों से सीखना एक बड़ी चुनौती है। अक्सर, जब बच्चे ठीक से पढ़ाई नहीं करते हैं, तो माता-पिता का तनाव बढ़ जाता है। वास्तु दोष भी एक कारण हो सकता है। अध्ययन आपके बच्चों की एकाग्रता पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है, लेकिन पढ़ाई नहीं करता है, यह वास्तु दोष भी हो सकता है। कुछ वास्तु टिप्स का उपयोग करके आप अपने बच्चों की शिक्षा और भविष्य से जुड़ी कई तरह की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं।
इन वास्तु टिप्स से मिलेगा फायदा
यदि आप चाहते हैं कि आपके बच्चे मन लगाकर पढ़ाई करें और जीवन में सफल हों, तो वास्तुशास्त्र के अनुसार उनके अध्ययन कक्ष का निर्माण करें। बच्चों के स्टडी रूम पूर्व, उत्तर या ईशान कोण में बनवाना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के अनुसार पढाई का रूम कभी भी पश्चिम की ओर नहीं होनी चाहिए। बच्चे को पूर्व की ओर मुख करके ही पढ़ना चाहिए। इसलिए अध्ययन केंद्रित रहता है और निश्चित रूप से सफल होता है।
वास्तुशास्त्र के अनुसार छात्रों को हमेशा दक्षिण या पश्चिम की ओर सिर करके सोना चाहिए। पश्चिम दिशा की ओर सिर करके सोने से पढ़ने की इच्छा बढ़ती है।
वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए अध्ययन कक्ष में भरपूर धूप होनी चाहिए। माना जाता है कि सूर्य नकारात्मक चीजों को नष्ट करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। छात्रों को पढ़ाई के लिए सकारात्मक ऊर्जा की जरूरत है धूप में बैठने के लिए सुबह कमरे की खिड़कियां खुली रखें।
सरस्वती को विद्या की देवी माना जाता है, इसलिए कमरे में मां सरस्वती का चित्र लगाना चाहिए। वास्तु के अनुसार सरस्वती का फोटो ऐसी जगह लगाएं जहां छात्र पढ़ते समय उसे देख सकें।
अगर बच्चे को पढ़ाई पसंद नहीं है और पढ़ाई का नाम लेते ही आलस्य बढ़ जाता है तो स्टडी रूम में हरे रंग का प्रयोग करें। वास्तुशास्त्र के अनुसार स्टडी रूम की दीवारों का रंग, पर्दों का रंग और स्टडी टेबल का रंग हरा ही रखना चाहिए।
वास्तुशास्त्र के अनुसार विद्यार्थियों को अध्ययन करने के लिए किसी बीम, जोड़ या स्तंभ के नीचे नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि इससे पढ़ाई में मन नहीं लगता और मानसिक तनाव भी बढ़ता है।