अगर बचना चाहते है शनिदेव के प्रकोप से, तो करें यह सरल उपाय
आराध्या की वजह घर नहीं होता श्रद्धा और आदर से परिपूर्ण हो इंसान ईश्वर की भक्ति करते हैं जब भी परिस्थिति और सामान्य होती है तो हम सभी उस परिस्थिति में हिम्मत से लड़ने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं लेकिन देवी देवताओं में एक नाम एसा है दिल से भक्तों को डर लगता है जिनके प्रकोप से मनुष्य क्या ईश्वर भी कांप उठते हैं
जिन्हें न्यायाधीश का पद प्राप्त है और अपने कर्तव्यों को भूल निष्पक्षता से पूरा करते हैं शनिदेव भगवान सूर्य और उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र जिन्हें 12 ग्रहों में सर्वाधिक अधिकार प्राप्त है पौराणिक मान्यताओं के आधार पर प्रथम सूर्य शनि देव के श्यामल वर्ण की वजह से उन्हें अपना पुत्र मानने से इंकार कर दिया था
क्रोधित होकर क्रूरतापूर्ण दृष्टि रखने का स्थान दे दिया शनि देव ने निराश होकर शत्रुभाव से प्रेरित हो भगवान शिव की कठोर तपस्या की देवों के देव महादेव ने भी उन्हें सूर्य देव से 7 गुना अधिक शक्तिशाली होने का वरदान दिया शनिदेव से जुड़ी कई धर्म है जिसकी वजह से भक्तों से डरते हैं और उनके क्रोध से बचने के कई उपाय करते हैं
शनिदेव के प्रकोप से दृष्टी के सर्वश्रेष्ठ भोले नाथ भी नहीं बच पाए हैं मान्यताओं के आधार पर किन्ही कारणों से महादेव को शनि द्वारा धन प्राप्त करना था जिस से बचने के लिए भगवान शिव हाथी का रूप धारण कर जंगल में विचरते रहे शाम होने के पश्चात जब कैलाश लौटे तब शनि देवन की प्रतीक्षा में वहीं बैठे थे इस पर शिव ने कहा कि मैं आपके दंड से बच गया शनिदेव इसका उत्तर देते हुए कहा मेरी भी दृष्टि के कारण आपको देवयोनी को छोड़कर पशु योनि में जाना पड़ा है
शनिदेव की न्याय प्रिय को देखकर भगवान शंकर प्रसन्न हो गए और शनि देव को देव में न्यायाधीश का पद दिया इस कथा को सुनाने का वास्तविक अर्थ यह है कि शनिदेव से जुड़ी सभी भ्रांतियों को नजर अंदाज कर आप इस बात पर ध्यान दें कि आपके कर्म ही आपको सही या बुरे फल का कारण बनाते हैं और कर्तव्य निष्ठ न्यायाधीश होने की वजह से देश केवल अपने कार्य का निर्वहन करते हैं अपितु ग्रह और नक्षत्रों को मुश्किल समय में घुसने की जगह अपने कर्म पर ध्यान दें