गूगल डूडल ने दी फारुख शेख को उनके 70वें जन्मदिन पर श्रध्दांजलि
एंटरटेनमेंट: इंडिया में गूगल ने फिर से हम सभी को एक तोहफा दिया है, जहाँ आज गूगल ने इंडिया में सर्च आप्शन पर बॉलीवुड के बेहतरीन अदाकारा फारुख शेख को उनके 70वें जन्मदिन पर श्रध्दांजलि देते हुए गूगल सर्च इंजन पर उनका डूडल चित्र बनाकर सबका मन मोह लिया।
ऐसा कारनामा अक्सर गूगल करता रहता है. दोस्तों आज अभिनेता फारुख शेख का जन्म दिन है। उनके बारें में जितना कहा जाए उतना ही कम है, वह हमेशा एक सच्चे समाजसेवी रहे हैं। उनका जन्म 24 मार्च 1948 को यहां बड़ोदा, गुजरात के अमरोली में हुआ था। उनके पिता का नाम वकील मुस्तफा शेख और माता का नाम फरीदा शेख था।उनके पिता पेशे से वकील थे और मुंबई में ही वकालत किया करते थे।
मुंबई में के । उनके परिवार में लगभग परिवार वाले जमींदारी किया करते थे इसलिए उनकी परवरिश अच्छे खासे रहन सहन में हुआ। और घर में उनकी गिनती पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े में होती थी। उनकी पढ़ाई सेंट मैरी स्कूल, मुंबई और फिर सेंट जेवियर्स कालेज, मुंबई में हुई. उन्होंने कानून की पढ़ाई सिद्धार्थ कालेज आफ ला में पूर्ण की। इनकी शादी इनके कॉलेज और थिएटर की फ्रेंड रूपा जैन से हुई थी। ये एक लव मेर्रिज थी। व इनकी दो बेटियां भी हैं जिनका नाम सना और शाइस्ता है ।
फ़ारुख़ शेख़ ने अपने कैरियर की शुरुआत थियेटर से की थी और वो अपने किरदारों में जुझारू, मध्यमवर्गीय और मूल्यजीवी इन्सान के साथ-साथ मनुष्य की फितरत को भी अभिव्यक्त करने के लिए जाने जाते हैं।लेकिन फ़ारुख़ शेख़ कभी एक्टिंग लाइन में जाना नहीं चाहते थे। पिता के निधन के बाद उन्होंने छोटे भाई-बहनों की जिम्मेदारी को अपने कंधों पर उठाया। उन्होंने रेडियो और टीवी पर कार्यक्रम किए, लेकिन सिर्फ पैसों की खातिर फ़िल्मों में काम करना उन्हें मंजूर न था। उन्होंने 1977 से 1989 तक बॉलीवुड में काम किया और 1988 से 2002 के बीच टेलीविजन में काम किया । लेकिन बॉलीवुड में उनकी पहली फ़िल्म ‘गरम हवा’ थी जो 1973 में आई थी। फिर उसके बाद महान फ़िल्मकार सत्यजित रे के साथ ‘शतरंज के खिलाड़ी’ की। शुरुआती सफलता मिलने के बाद फ़ारुख़ शेख़ को आगे भी फ़िल्में मिलने लगीं जिसमें 1979 में आई ‘नूरी’, 1981 की चश्मे बद्दूर जैसी फ़िल्में शामिल हैं। यह उनका सर्वश्रेष्ठ दौर था.
उनकी कुछ खास फ़िल्में इस प्रकार हैं :
क्लब 60 (2013),ये जवानी है दीवानी (2013), लिसन… अमाया (2013), द बास्टर्ड चाइल्ड (2013), शंघाई (2012), टेल मी ओ खुदा (2011),लाहौर (2010),एक्सिडेंट ऑन हिल रोड (2009), छोटी सी दुनिया (2009), सास बहू और सैंसेक्स (2008), मोहब्बत (1997), अब इंसाफ होगा (1995),माया मेमसाब (1993), जान-ए-वफ़ा (1990), वफ़ा (1990),तूफ़ान (1989),घरवाली बाहरवाली (1989),बीवी हो तो ऐसी (1988),खेल मोहब्बत का (1988),पीछा करो (1988), महानंदा (1987),एक पल (1986),फासले (1985), सलमा (1985), लोरी (1985), यहां वहां (1984),लाखों की बात (1984), अब आएगा, मजा (1984), कथा (1983), किसी से न कहना (1983),रंग बिरंगी (1983),एक बार चले आओ (1983),बाज़ार (1982),साथ साथ (1982), चश्मे बद्दूर (1981),उमराव जान (1981),नूरी (1979),गमन (1978),शतरंज के खिलाड़ी (1977),मेरे साथ चल (1974),गरम हवा (1974) आदि । उनकी आख़िरी फ़िल्म ‘क्लब 60’ थी।
बॉलीवुड के प्रसिद्ध अभिनेता फ़ारुख़ शेख़ का 65 वर्ष की आयु में शुक्रवार 27 दिसम्बर, 2013 की रात दुबई में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। लेकिन आज भी और कल भी लोग उनकी अदाकारी को याद रखेंगे
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