अमेरिका जाना पड़ेगा महंगा: वीजा शुल्क 460 से बढ़कर 1385 डॉलर होगा, बाइडेन सरकार ने भारतीयों को दिया झटका
अमेरिका के बाइडेन प्रशासन ने एच-1बी वीजा समेत इमिग्रेशन फीस में भारी बढ़ोतरी की है, जिससे अत्यधिक कुशल विदेशी कामगारों को तगड़ा झटका लगा है। अमेरिकन सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज द्वारा घोषित एक नियम के तहत एच-1बी, एल-1 और ओ-1 वीजा के लिए आवेदन शुल्क 320 डॉलर से बढ़ाकर 925 डॉलर कर दिया गया है।
अमेरिका में पहले अलग-अलग वीजा कैटेगरी के लिए एक समान शुल्क लिया जाता था, अब वीजा कैटेगरी के हिसाब से अलग-अलग फीस ली जाएगी। यूएससीआईएस ने एच-1बी वीजा के लिए आवेदन शुल्क 460 डॉलर से बढ़ाकर 780 डॉलर और एल-1 के लिए 460 डॉलर से बढ़ाकर 1,385 डॉलर कर दिया है। इसके अलावा, ओ-1 वीजा के लिए आवेदन शुल्क शुल्क को 460 डॉलर से बढ़ाकर 1,055 डॉलर करने का प्रस्ताव किया गया है।
H-1B वीजा अमेरिका में एक गैर-आप्रवासी वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को अत्यधिक कुशल विदेशी श्रमिकों को अमेरिका लाने में सक्षम बनाता है। अमेरिकी टेक कंपनियां ज्यादातर इस वीजा के जरिए भारतीय और चीनी टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स को हायर करती हैं और इस वीजा के जरिए उन्हें अमेरिका आमंत्रित करती हैं। अमेरिकी आईटी कंपनियां हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों को हायर करने के लिए एच-1बी वीजा कैटेगरी पर निर्भर करती हैं।
USCIS के इस प्रस्ताव के बाद US डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने कहा कि USCIS मुख्य रूप से वीजा के लिए आवेदन करने वाले लोगों के रेवेन्यू पर काम करता है। इसलिए कीमत को समायोजित करना पड़ा। USCIS ने तर्क दिया कि नई शुल्क वृद्धि से आप्रवासन एजेंसियों को अपनी परिचालन लागतों को पूरी तरह से वसूल करने में मदद मिलेगी। डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी ने कहा कि इमिग्रेशन फीस बढ़ाने के इस प्रस्ताव को 60 दिनों तक सार्वजनिक किया जाएगा। अगर इस प्रस्ताव पर कोई सवाल नहीं करता है तो नियमों के मुताबिक एच-2बी वीजा की फीस 460 डॉलर से घटाकर 1,080 डॉलर कर दी जाएगी। वहीं, वीजा आवेदन के लिए प्रीमियम प्रोसेसिंग फीस में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इसके अलावा, प्रस्ताव अधिकांश मामलों में अनिवार्य बायोमेट्रिक सेवा शुल्क को समाप्त कर देगा, जिसमें अंतर्निहित आप्रवासन लाभ अनुरोध शुल्क की लागत भी शामिल है।