आम नागरिकों की मदद के लिए बनाई मोदी सरकार ने 3 रणनीतियां, सबको होगा फायदा
पीएम नरेंद्र मोदी की गोल्ड पॉलिसी को लेकर शुक्रवार को अहम बैठक होगी। वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ अहम बैठक में पीएम मोदी गोल्ड पॉलिसी पर बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री पहली बार इस मुद्दे पर बैठक ले रहे हैं। इस बैठक में डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स की एक प्रेजेंटेशन दिया जाएगा कि गोल्ड पॉलिसी में हम क्या करना चाहते हैं। इसका ड्राफ्ट वित्त मंत्रालय ने जारी कर दिया है।
यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि अगर इसको प्रधानमंत्री से हरी झंडी मिल जाती है तो हो सकता है कि 5 जुलाई को पेश होने वाले बजट में सरकार गोल्ड पॉलिसी का ऐलान कर दे।
गोल्ड पॉलिसी लाने का क्या है सरकार का मकसद
गोल्ड पॉलिसी का सबसे प्रमुख मकसद ये है कि गोल्ड को एक फाइनेंशियल एसेट के तौर पर विकसित किया जाए। यानी घरों में जो सोना पड़ा है, अनप्रोडक्टिव है उसको सिस्टम कैसे लाया जाए ताकि उसकी ज्यादा उत्पादकता बढ़ाई जाए।
बनाई जा रही है ये रणनीति-
पहली रणनीति
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम को और ज्यादा आकर्षक बनाया जाएगा ताकि घरों में पड़े सोने को लोग बैंकों में ले जाकर जमा कराएं।
दूसरी रणनीति
ज्वैलरी सेक्टर को संगठित क्षेत्र के तौर पर विकसित किया जाए। इसके लिए गोल्ड बोर्ड बनाने का प्रस्ताव है ताकि ज्वैलरी सेक्टर में समय-समय पर सरकार की तरफ क्या कदम उठाने हैं वो गोल्ड बोर्ड सिफारिश करे और वित्त मंत्रालय इसकी तरफ कदम उठाए।
तीसरी रणनीति- जो कंपनियां ज्वैलरी एक्सपोर्ट करती हैं उनको टैक्स इन्सेंटिव दिया जाए। मिसाल के तौर पर अभी 3 फीसदी की GST लगती है जो उनको काफी लंबे समय बाद वापस मिलता है।
इसके लिए जीएसटी का झंझट खत्म कर बैंक गारंटी लेने का प्रावधान हो सकता है।वहीं MEIS स्कीम, जिसके तहत 3 से 5 फीसदी तक उनको ड्यूटी में रियायत मिलती है, उसमें ज्वैलरी सेक्टर को शामिल किया जाए। गोल्ड और ज्वैलरी सेक्टर के लिए प्रधानमंत्री के साथ कल होने वाली बैठक काफी महत्वपूर्ण है।