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झूठी F.I.R हो तो सिर्फ इन दो शब्दों को सुनकर छोड़ देगी पुलिस

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FIR यानि फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन रिपोर्ट। FIR उस वक्त दर्ज कराई जाती है जब आपके साथ कोई आपराधिक घटना हुई हो। FIR पुलिस में रजिस्टर में दर्ज एक लिखित दस्तावेज होता है, जिसे किसी आपराधिक घटना के पीड़ित द्वारा लिखवाया (ज्यादातर मामलों में) जाता है। अपने साथ हुई किसी आपराधिक घटना की पुलिस में शिकायत करना या F.I.R लिखवाना किसी भी व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। लेकिन, कई बार ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोग किसी को नुकसान पहुंचाने या फिर परेशान करने के लिए झूठी FIR लिखवा देते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो हम आपको आज झूठी FIR से बचने का तरीका बता देते हैं।

ये है झूठी FIR से बचने का तरीका

अगर कोई आपके खिलाफ झूठी FIR लिखवा दे तो ऐसे में आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। हम बता रहे हैं झूठी FIR से बचने का तरीका जिसके जरिए आप किसी भी झूठी F.I.R से बच सकते हैं। भारतीय दंड संहिता की धारा 482 के तहत किसी की झूठे FIR से बचने का तरीका बताया गया है। इसके लिए आपको हाईकोर्ट में अपील करनी होती है। कोर्ट में अगर आपकी दलीलें सही हुई तो यह FIR रद्द हो सकती है।

आपको बता दें कि कोई भी व्यक्ति लिखित या मौखिक तौर पर अपनी शिकायत पुलिस में दर्ज करवा सकता है। लेकिन, अमुमन हमें ऐसे मामले सुनने को मिलते रहते हैं कि कई लोग झूठी FIR लिखवाते हैं। लेकिन, अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ हो या हो रहा हो तो हम बताते हैं कि यदि कोई आपके खिलाफ झूठी FIR लिखवा दे तो आप क्या कर सकते हैं और कैसे इस झूठी FIR से बच सकते हैं। अगर कोई आपके खिलाफ झूठी FIR लिखवा दे तो आपको सिर्फ ये दो शब्द याद रखने चाहिए। आज इससे झूठी FIR से बच सकते हैं।

धारा 482 के तहत हैं आपके ये अधिकार

इस धारा का आप इस्तेमाल करके किसी भी झूठी एफआईआर से बचने के लिए कर सकते हैं। इसके लिए आपको वकील के माध्यम से हाईकोर्ट में प्रार्थनापत्र भेजना होगा। इसके साथ आप ये बात बता सकते हैं कि आपके खिलाफ जो F.I.R लिखवाई गई है वो गलत है इसके साथ आप अपनी बेगुनाही के सबूत भी दे सकते हैं। प्रार्थना पत्र के साथ वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑडियो रिकॉर्डिंग, फोटोग्राफ्स, डॉक्युमेंट्स जैसे दस्तावेज कोर्ट के भेजें। अमूमन देखा जाता है कि लोगों को चोरी, मारपीट, बलात्कार या किसी दूसरे मामले में झूठा फंसाया जाता है।

इस तरह के झूठे F.I.R से बचने के लिए आप हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं। आपको बता दें कि हाईकोर्ट में जब तक केस का फैसला नहीं आ जाता पुलिस आपके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकती। इसके अलावा, आपको गिरफ्तार भी नहीं किया जा सकता है। इस धारा के तहत कोई भी व्यक्ति जो बेगूनाह है बच सकता है। हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के बाद आपको अपनी बेगूनाही के जरुरी दस्तावेज भी जमा करने होंगे। यह धारा ऐसे लोगों को F.I.R और इसके बाद होने वाली कानूनी से बचने के लिए ही बनाया गया है।

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