क्या आप उज्जैन से जुड़े इन रोचक तथ्यों के बारे में जानते हैं ?
भारत का ह्रदय स्थल मध्य प्रदेश देश का एक महत्वपूर्ण राज्य है, जो विश्व भर में अपने वृहद इतिहास, प्राकृतिक सौंदर्यता और कला-संस्कृति के लिए जाना जाता है। यह एक विशाल राज्य है जो उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान के साथ अपनी सीमा साझा करता है। यह देश के सबसे तेजी से विकसित होते राज्यों में से एक है। कृषि, खनिज और जैव विविधता का मामले में भी यह एक समृद्ध भू-भाग है। भोपाल, उज्जैन, इंदौर, खजुराहो, जबलपुर, ग्वालियर, सतना, पंचमढ़ी आदि स्थल इस राज्य को खास बनाने का काम करते हैं।
पर्यटन से लिहाज से यह राज्य काफी ज्यादा मायने रखता है, जहां वर्षभर पर्यटकों का आवागमन लगा रहता है। इस लेख के माध्यम से आज हम आपके सामने मध्य प्रदेश के खजाने में से एक उज्जैन शहर से जुड़े उन रोचक तथ्यों को सामने रखेंगे, जिनसे अधिकांश पर्यटक अंजान हैं। इन रोचक बातों को जानने का बाद आपका उज्जैन भ्रमण का मन जरूर करेगा।
एक प्राचीन नगर
उज्जैन एक प्राचीन शहर है, जिसका इतिहास कई सौ साल पुराना है। क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित यह शहर कभी विक्रमादित्य के साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। प्राचीन काल में इसे अवन्तिका, उज्जयनी कनकश्रन्गा के नाम से संबोधित किया जाता था। मध्य प्रांत की कई बड़ी ऐतिहासिक घटनाएं इस स्थल के आसपास घटित हुई हैं।
कालीदास की नगरी
उज्जैन को कालीदास की नगरी भी कहा जाता है। प्रसिद्ध महाकवि कालीदास सम्राट विक्रमादित्य के दरबार के नवरत्नों में सबसे खास थे। उनका उज्जैन के साथ गहरा लगाव था। उन्होंने अपने जीवन एक बड़ा समय इस स्थल पर बिताया और उज्जैन के गौरवशाली इतिहास के साक्षी बनें। कालीदास ने अपनी कई रचनाओं में उज्जैन का उल्लेख किया है।
एक पौराणिक स्थल
इस स्थल का उल्लेख पुराणों और महाभारत में भी मिलता है, किवदंती के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण और उनके भाई बलराम विद्या प्राप्त करने के लिए यहां गुरु सांदीपनी के आश्रय आए थे। आपको जानकार आश्रय होगा कि श्री कृष्ण की और पत्नी थी जिनका नाम मित्रवृंदा था और वे उज्जैन की राजकुमारी थीं। उनसे एक तथ्य यह भी जुड़ा है कि राजकुमारी के दो भाई विन्द और अनुविन्द ने महाभारत की लड़ाई में कौरवों का साथ दिया था और वे उसी युद्ध के दौरान मारे गए थे।