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केंद्र ने अध्यादेश के जरिए सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को पलटा केजरीवाल बोले, इसे कहते हैं निरंकुशता

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केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार की शक्तियों पर एक अध्यादेश जारी किया कि दिल्ली में अधिकारियों के स्थानांतरण-तैनाती के निर्णय पर मुख्यमंत्री का कोई अधिकार नहीं होगा, जिसका अंतिम निर्णय उपराज्यपाल द्वारा लिया जाएगा।

गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को आदेश दिया था कि अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास रहेगा. अब केंद्र ने एक अध्यादेश के जरिए कोर्ट के फैसले को पलट दिया है। अब 6 महीने के अंदर इससे जुड़ा कानून भी संसद में बनाया जाएगा.

इस पर आम आदमी पार्टी की प्रतिक्रिया सामने आई है कि केंद्र का यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अपमान है. यह अध्यादेश केजरीवाल सरकार की ताकत कम करने के लिए लाया गया है।

हालांकि बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि जिस तरह से अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली प्रशासन को बदनाम करने और मनमानी करने की कोशिश की, उसे देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश का बीजेपी स्वागत करती है.

वहीं आप सांसद संजय सिंह ने कहा कि पीएम मोदी ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह तानाशाह हैं. वे लोकतंत्र, संविधान और सुप्रीम कोर्ट में विश्वास नहीं करते। सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा था कि दिल्ली में सभी शक्तियां चुनी हुई सरकार के पास होनी चाहिए, लेकिन मोदी सरकार ने एक अध्यादेश लाकर इस फैसले को पलट दिया. यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है।

शिक्षा मंत्री आतिशी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के सत्ता में आने के डर से केंद्र सरकार यह अध्यादेश लाई है. हैरानी की बात है कि दिल्ली की जनता ने 90% सीटें अरविंद केजरीवाल को दे दी हैं, लेकिन अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सरकार नहीं चला सकते।
ऐसे में इस मामले में तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं.

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