छंटनी के बावजूद भारतीय पेशेवरों को अमेरिका में रहने की अनुमति दें, यूएससीआईएस से अमेरिकी सांसदों की मांग

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अमेरिका में कई टेक कंपनियों ने हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर छंटनी की है, जिससे अमेरिका में लाखों लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। नौकरी से निकाले जाने वालों में बड़ी संख्या में भारतीय भी हैं। अब अमेरिकी सांसदों ने यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज को पत्र लिखकर मांग की है कि नौकरी से निकाले गए अत्यधिक कुशल लोगों को एक निश्चित अवधि के लिए अमेरिका में रहने की अनुमति दी जाए, ताकि इस दौरान वे नई नौकरियों की तलाश कर सकें।

अमेरिका शिक्षित कार्यबल को रोकना चाहता है
अमेरिकी सांसदों जो लोफग्रेन, रो खन्ना, जिमी पनेटा और केविन मुलिन ने यूएस सिटिजनशिप एंड इमिग्रेशन सर्विसेज के निदेशक मेंडोज़ा जाडो को लिखा, ‘लंबे समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए एक उच्च प्रशिक्षित प्रवासी कार्यबल महत्वपूर्ण है। इसलिए उन्हें जबरन अमेरिका से बाहर नहीं किया जाना चाहिए।

यह हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा है क्योंकि हाल के महीनों में टेक सेक्टर में छंटनी के कारण बड़ी संख्या में लोगों की नौकरी चली गई है। 2022 की तुलना में 2023 के कुछ महीनों में अधिक नौकरियां चली गईं। पत्र में यूएससीआईसी से छँटनी से प्रभावित विदेशियों की संख्या पर डेटा साझा करने की अपील की गई है। इसने यह भी मांग की कि H-1B वीजा धारकों को उनके वीजा की कानूनी रूप से समाप्त होने से पहले नई नौकरी खोजने के लिए 60 दिनों की छूट अवधि दी जाए।

भारतीयों पर छंटनी का असर ज्यादा

आपको बता दें कि Google, Microsoft और Amazon जैसी दिग्गज टेक कंपनियों में बड़े पैमाने पर छंटनी हुई है, जिसमें लगभग दो लाख IT कर्मचारियों की नौकरी चली गई है। उद्योग के विशेषज्ञों का मानना ​​है कि नौकरी गंवाने वालों में 30-40 प्रतिशत भारतीय आईटी पेशेवर हैं जिनके पास एच-1बी और एल-1 वीजा है। H-1B वीजा एक अप्रवासी वीजा है जो विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में रहने और अमेरिकी कंपनियों के लिए काम करने की अनुमति देता है। हर साल हजारों भारतीय और चीनी नागरिक इस वीजा के तहत अमेरिका में काम करने जाते हैं।

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