एक रिक्शे वाले ने बचाई थी इस लड़की की जान, 12 साल बाद लड़की ने इस तरह चुकाया एहसान
रमेश अहिरवार अपना रिक्शा लेकर घर आ रहा था। उसी समय उसकी नजर रोड़ के किनारे किसी के कराहने की आवाज सुनाई दी। रमेश ने अपना रिक्शा रोका और पास जाकर देखा, तो एक लड़की दर्द से तड़प रही थी। रात का 9.30 बज रहा था। पास में ही लड़की की स्कूटी पड़ी थी। रमेश बहुत ही गरीब आदमी था और अपना रिक्शा चलाकर गुजर वशर करता था। रमेश कानपुर देहात के गाँव गजनेर का रहने वाला था। उसका एक ही लड़का था, जो नशे में अपनी जिंदगी खराब कर चुका था। उसकी पत्नी 2 साल पहले स्वर्ग सिधार गई थी। इसी कारण रमेश रिक्शा चला कर खुद का पेट पालता था और फुटपाथ पर ही अपना जीवन बिता रहा था।
रमेश ने लड़की को देखा तो उसकी हिम्मत नहीं हुई और अपना रिक्शा उठाकर चलने लगा किन्तु उसका जमीर गवाही नहीं दे रहा था। इस लिए उसने उस लड़की को अपने रिक्शे पर किसी तरह लिटाया और अस्पताल की तरफ चल दिया। फोन करना उसे आता नहीं था और शरीर से भी काफी कमजोर हो गया था। फिलहाल किसी तरह उसने लड़की को अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल से लड़की के घर वालों को फोन किया गया। लड़की की पैर की हड्डी टूट गई थी। रातभर लड़की बेहोश रही सुबह जब उसे होश आया और पता चला कि सामने जो भिखारी जैसा इंसान खड़ा है। उसने उसकी जान बचाई है, तो वह लड़की रमेश से लिपट कर खूब रोई। यह घटना 21 सितम्बर 2011 की जयपुर सांगानेर की है। उस लड़की का नाम रोहिणी सारस्वत था। रोहणी के पिता की एक रोड एक्सीडेंट में काफी दिन पहले मौत हो चुकी थे और उसकी माता एक कंपनी की जीएमडी थीं।
24 जनवरी 2023 को रोहणी अपनी कार से ऑफिस जा रही थी। तभी उसने देखा कि एक धूल में लिपटा और मैले कपड़े पहने हुए पुटपाथ पर लेता रो रहा था। उस बुजुर्ग की उम्र लगभग 75 साल होगी। रोहणी ने अपनी कार चलाती हुई आगे निकल गई किन्तु फिर उसे कुछ याद सा आया और वह उस बुजुर्ग के पास गई। जब रोहणी पास गई तो उसके होश उड़ गए। वह तो रमेश था।
रोहिणी ने तुरंत उसे अपनी अपनी कार में बिठाया और अस्पताल ले गई। रमेश टीबी से ग्रसित था। रोहणी ने रमेश का इलाज शुरू करा दिया। अब रोहणी रमेश को अपने ही पास रखती है। रोहणी ने ये भी कहा रमेश मेरे पिता जैसी हैं और हमारा कर्तव्य बनता है कि सारी उम्र उनकी सेवा की जाय। रोहणी के इस कदम से अस्पताल और मोहल्ले वाले काफी हैरान हैं, क्योंकि अभी किसी को रमेश के बारे में सच पता नहीं है।