अब एलएसी पर डरेगा चीन, अल जवाहिरी को मारने के लिए अमेरिका से ड्रोन खरीदेगा भारत, जानें

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आज पूरे देश में भारतीय नौसेना दिवस मनाया जा रहा है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारतीय नौसेना की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करने और ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ में इसकी उपलब्धियों को याद करने के लिए हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। इस युद्ध के बाद देश की तीनों सेनाओं का तेजी से आधुनिकीकरण हुआ है। सेनाओं को नए-नए हथियार मुहैया कराए जा रहे हैं। अब इस कड़ी में एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन को जोड़ा जाएगा। नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार की माने तो इस डील पर अमेरिका से तेजी से बातचीत चल रही है और भारत को ये डील जल्द मिल सकती है. आइए जानते हैं क्या है एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन और क्या हैं इसके फीचर्स।

एमक्‍यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन दुश्‍मन को जगाए रखेगा

भारत को दुनिया का सबसे उन्नत ड्रोन माने जाने वाले MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन मिलने के बाद पड़ोसी देशों की नींद उड़ी जा रही है. ड्रैगन हो या पाकिस्तान सबकी निगाहें भारत और अमेरिका के बीच हुई इस डील पर टिकी हैं. इन ड्रोन का इस्तेमाल मुख्य रूप से चीन सीमा और हिंद महासागर क्षेत्र में किया जाएगा, जिसके लिए नौसेना ने अमेरिका स्थित जनरल एटॉमिक्स से तीन अरब डॉलर में 30 ड्रोन खरीदने का प्रस्ताव रखा है। आपको बता दें कि अमेरिका ने इसी ड्रोन की मदद से अल-कायदा प्रमुख अल-जवाहिरी पर हेलफायर मिसाइल से हमला कर उसे मार गिराया था.

गलवान में झड़प के बाद मांग बढ़ी

नौसेना ने चीनी सीमा के साथ गालवान घाटी में सैनिकों के बीच झड़प के बाद 2020 में जनरल एटॉमिक्स से दो हाई एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस (HALE) ड्रोन – MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन पट्टे पर लिए हैं। इन ड्रोन्स ने हिंद महासागर की निगरानी में अहम भूमिका निभाई है। अब नौसेना यहां एमक्यू-9बी प्रीडेटर ड्रोन तैनात करने पर विचार कर रही है, जिससे भारत की निगरानी क्षमताओं में इजाफा होगा।

एमक्‍यू-9बी प्रीडेटर की विशेषताएं

चूंकि यह ड्रोन काफी हाईटेक है, इसलिए यह 35 घंटे तक हवा में रह सकता है।
जैसा कि अमेरिका ने किया जब उसने अल-कायदा प्रमुख अल-जवाहिरी को मार डाला, यह एक बहुत ही सटीक लक्ष्य है।
समुद्र और जमीन दोनों लक्ष्यों को निशाना बनाया जा सकता है।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती के लिए इसमें विशेष तकनीक है।
इसकी खास बात यह है कि इसे उन इलाकों में तैनात किया जा सकता है, जहां सेना का जाना मुश्किल होता है।
यह दुश्मन के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने और खुफिया जानकारी जुटाने में भी कारगर है।

इसलिए यह भारत के लिए खास है

यह ड्रोन भारतीय सेना के लिए इसलिए भी खास है क्योंकि इसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात किया जा सकता है। इससे सेना एलएसी पर अपनी चौकसी बढ़ा सकती है। इसे लद्दाख और अन्य इलाकों में तैनात किया जा सकता है और इन ड्रोन्स को तीनों सेनाओं को सौंपा जा सकता है।

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