दशहरा स्पेशल : शक्तिशाली योद्धा रावण की इन बातों को आप नहीं जानते होंगे
दशहरा स्पेशल : जब आपके सामने कोई रावण का नाम लेता है तो मन के अंदर एक नकारात्मक प्रतीक उभर कर आता है जिसने माता सीता का हरण किया, जिसने साक्षात विष्णु के अवतार श्री राम को युद्ध के लिए ललकारा था। ऐसा साहस संसार के किसी व्यक्ति में न था, एक तरफ वह भगवान शिव का सबसे बड़ा भक्त भी था इस लेख को पढ़ने के बाद आप यह सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि रावण वाकई में खलनायक था या नहीं?
पौराणिक कथा अनुसार राक्षस रावण चाहता था कि समुन्द्र का पानी मीठा हो जाए जिससे किसान उस पानी का प्रयोग खेती जैसे कार्यों में कर सकें, वह चाहता था कि मनुष्य की इच्छा हो तभी बारिश होनी चाहिए जिससे कोई प्यासा ना रह सकें। रावण देवताओं को सबसे बड़ा दुश्मन समझता था क्योंकि वे स्वर्ग के निवासी थे और अन्य मनुष्य को दुःख लोक(पृथ्वी) पर रहना पड़ता था।
रावण का जन्म देवताओं को दुःख देने के लिए ही हुआ था वह विश्राव का पुत्र ज़रूर था लेकिन उसकी माता राक्षसी कन्या होने के कारण वह वेद शास्त्र के ज्ञान को जानने वाला और राक्षसी स्वभाव का स्वामी था। यहाँ तक कि प्राचीन समय में भोलेनाथ का सबसे बड़ा भक्त ही था उसी ने शिव तांडव की रचना की है रावण गुप्त विद्या को जानने वाला था इसी वजह से युद्ध के मैदान में उसके दस सर दिखाई देते थे लेकिन वास्तव में उसका एक सर ही था।
इतनी सारी ख़ूबियाँ होने के बावजूद कुछ चीज़े इंसान को दोषी बना ही देती है ठीक ऐसा ही रावण के साथ भी हुआ वह अहंकारी और निर्दयी था उसका सपना तीनों लोकों का भगवान बनना था अपने इसी सपने को पूर्ण करने के लिए वह बुरे कार्यों करने लग गया था। और यही कर्म उसके मृत्यु का कारण बन गए थे यदि वह बुरे कर्म नहीं करता तो शायद संसार के सबसे शक्तिशाली राजाओं में एक होता और लोग उसकी पूजा भी करते। कहने का अर्थ मात्र इतना ही है कि व्यक्ति के कर्म ही उसे अच्छा और बुरा बना देते है।