आप भी जानिये क्या है फर्क – कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक में
अक्सर लोग कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक को एक ही अवस्था समझ लेते हैं पर ऐसा नहीं है। दोनों ही अवस्थाएं अलग-अलग होती है। प्रस्तुत है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक के अंतर क्या है कार्डियक अरेस्ट- कार्डिएक अरेस्ट यानी दिल की धड़कन का अचानक थम जाना, इसमें दिल अचानक ही रक्त का संचार बंद कर देता है, जैसा कि नाम से स्पष्ट है यह एकदम से और बिना किसी संकेत के होता है। इसमें हार्ट खून को अच्छी तरह पम्प नहीं कर पाता है और रक्त का प्रवाह मस्तिष्क, फेफड़ा और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण अंगों में अच्छी तरह नहीं पहुँच पाता है जिससे मरीज की अचानक से तकलीफ शुरू हो जाती है,
साँसे अटकने लगती है, नब्ज टूटने लगती है, सीने में जलन, और धड़कने अचानक तेज या धीमा होने लगती है और व्यक्ति बेहोश होने लगता है या कोमा में भी चला जाता है, ऐसे पीड़ित को तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए।रिपोर्ट की मानें, तो कार्डिएक अरेस्ट होने पर 95 प्रतिशत मरीजों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही मौत हो जाती है। हालांकि लोगों को जागरूक कर इनमें से ज्यादातर मौतों को रोका जा सकता है।कार्डियक अरेस्ट के कारण कार्डियक अरेस्ट का सबसे बड़ा कारण है असामान्य हृदय गति, वेंट्रिकुलर फिब्रिलेशन (वीएफ) और यह तब होता है
जब रक्त में अधिक मात्रा में फाइब्रिनोजन पाया जाता है जिससे हृदय रक्त का संचार करना बंद कर देता है।क्या है कार्डियक अरेस्ट का इलाज- कार्डियक अरेस्ट से लोगों को बचाया जा सकता है यदि मरीज को एक मिनट के अंदर ट्रीटमेंट उपलब्ध करा दिया जाये। ऐसी अवस्था में मरीज को तुरंत सीपीआर देना चाहिए और एंबुलेंस को बुला लेना चाहिए। यदि ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर है, तो उसे भी जल्द-से-जल्द देना चाहिए। यदि दो लोग मौजूद हैं, तो एक एंबुलेंस को कॉल करे और दूसरा सीपीआर उपलब्ध कराये।
क्या है हार्ट अटैक?
हार्ट अटैक में अचानक ही हृदय की किसी मांसपेशी में खून का संचार बंद हो जाता है. जिसके कारण हृदय को स्थायी क्षति पहुचती. पर हृदय इस अवस्था में भी शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त का संचार सुचारू रूप से करता है इस कारण व्यक्ति होश में रहता है।
हार्ट अटैक तब होता है जब रक्त संचार में अवरोध आ जाता है। अवरुद्ध आर्टरी के कारण ह्रदय के किसी हिस्से में ऑक्सीजन युक्त रक्त नहीं जा पाता है। यदि ब्लॉकेज को जल्द नहीं खोला जाये, तो हार्ट का वह हिस्सा ख़राब हो सकता है या आर्टरी नष्ट हो सकती है।
इसके लक्षण मरीज में अचानक उभरते हैं, जिससे छाती या शरीर के ऊपरी हिस्से में परेशानी शुरू होती है। मरीज को सांस फूलने और उल्टी जैसी शिकायत शुरू होती है। कभी-कभी इसके लक्षण धीरे-धीरे दिखते हैं और हार्ट अटैक से घंटे भर, एक दिन या हफ्ते भर पहले से दिखने लगते हैं। इसमें हृदय धड़कना बंद नहीं होता है। परंतु इसमें भी इलाज में जितनी देरी होती है, हार्ट उतना ही डैमेज होता है।
अधिकतर हार्ट अटैक के साथ कार्डियक अरेस्ट के लक्षण नहीं होते हैं। लेकिन अधिकतर कार्डियक अरेस्ट हार्ट अटैक के साथ हो सकता है। हार्ट की अनियमित धड़कन भी इसका प्रमुख कारण है। महिलाओं में हार्ट अटैक के लक्षण पुरुषों से भिन्न हो सकते हैं।