केवल पुष्कर में क्यों होती है भगवान ब्रह्मा की पूजा! जाने इसके पीछे की छुपी सच्चाई ?
इस सृष्टि की रचना ब्रह्मा द्वारा की गई संसार के प्रत्येक जीव का निर्माण ब्रह्मा ने ही किया है, तो मित्रों आपने कभी सोचा है, कि इस सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जिसकी पद इतनी ऊंची है, इसकी पूजा क्यों नहीं की जाती है एक बार ब्रह्मा जी को सृष्टि के कल्याण के लिए धरती पर एक यज्ञ संपन्न करना था। यज्ञ के लिए स्थान का चुनाव करने के लिए उन्होंने अपनी बाहों से निकले एक कमल को धरती पर भेजा, वह कमल राजस्थान के पुष्कर में गिरा।
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ये है इसकी सच्चाई :
इस पुष्पक के यहां गिरने से यहां एक तालाब का निर्माण हुआ। और ब्रह्मा जी ने यही स्थान यज्ञ के लिए चुना परंतु यज्ञ के लिए ब्रह्मा जी के पत्नी सावित्री समय पर नहीं पहुंच पाई, इस यज्ञ को संपन्न करने के लिए एक स्त्री की आवश्यकता थी, यज्ञ का समय निकला जा रहा था परंतु सावित्री नहीं पहुंची यदि यज्ञ समय पर नहीं संपन्न होता तो इस यज्ञ का लाभ नहीं मिल सकता था।
इसलिए ब्रह्मा जी ने एक स्थानीय ग्वाला से विवाह कर लिया और यज्ञ में बैठ गए। यज्ञ आरंभ होने में थोड़ी देर पश्चात ही जब सावित्री पहुंची तो उन्होंने अपने स्थान पर किसी दूसरे स्त्री को देख क्रोधित हो उठे। और ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि इस संपूर्ण पृथ्वी पर कहीं भी तुम्हारी पूजा नहीं होगी और कोई भी व्यक्ति तुम्हें पूजा के समय याद नहीं करेगा।
सावित्री को इतने क्रोधित में देख सभी देवता डर गए और सब ने सावित्री से विनती की, कि वह अपना श्राप वापस ले लीजिए। तब सावित्री ने क्रोध शांत हो जाने के बाद कहा कि जिस स्थान पर आपने यज्ञ किया है, केवल इसी स्थान पर आपका मंदिर होगा इसी कारण केवल पुष्कर में ही ब्रह्मा जी को पूजा जाता है।
मान्यता है, कि क्रोध शांत होने के पश्चात देवी सावित्री पास ही स्थित एक पहाड़ी पर जाकर तपस्या में लीन हो गई थी, और आज भी वहां उपस्थित है और अपने भक्तों का कल्याण करती है। ब्रह्मा जी का पुष्कर में स्थित यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। और अजमेर आने वाले सभी हिंदू पुष्कर में ब्रह्मा मंदिर और वहां स्थित तालाब के दर्शन करने अवश्य आते हैं।