मुसलमान सुअर का मांस आखिर क्यूँ नही खाते , वजह जानकार हैरान होजओगे आप
दुनिया के मशहूरों धर्मों में से एक इस्लाम भी है। इसे अपनाने वालों की संख्या के मुताबिक यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा धर्म है।
इस्लाम की पवित्र कुरान में कई आयतें और सूरतें होती हैं, जो दुनिया भर में अपनाई जाती हैं।
हर धर्म में कुछ न कुछ खाने पर पाबंदी है और इस्लाम धर्म मे सुअर का मांस खाने की मनाही है।
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इस्लाम धर्म मे ऐसे किसी भी जानवर का सेवन करना वर्जित है जो हलाल या जिंबा न किया गया हो।
इसे केवल एक आपात स्तिथि में वैध माना जा सकता है, जब कोई व्यक्ति भुखमरी का शिकार हो
।सुअर एक ऐसा प्राणी है जिसे पसीना नही आता जिसकी वजह से उसका शरीर ज्यादा विषैल हो जाता है
और अपने आप को ठंडा करने के लिए ये जानवर कीचड़ में बैठा रहता है।
इस्लाम मे गंदगी को बहुत ज्यादा न पसंद किया गया है
और ऐसी चीजो से भी दूर रहने का हुक्म दिया गया है जो गंदी हो।
हम इस बात से अच्छे से वाकिफ है कि सुअर एक गंदा जानवर होता है
इसलिए इसका मांस खाने की मनाही है।
इसका मांस खाने से कम से कम 70 विभिन्न रोग लग सकते है।
टीनिया सोलीयम एक बहुत ही प्रचलित टेप वॉर्म है जो कि सुअर के मांस में पाया जाता है
और इसको खाने से ये परजीवी मानव शरीर में जाकर मस्तिष्क, फेफड़े, दिल आंख और नाक जैसे अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
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