centered image />

क्यों केतकी के फूलों का इस्तेमाल देवपूजन में नहीं किया जाता है?, जल्दी जानिए

0 2,647
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

हिंदू धर्म में देवी-देवताओं के पूजन में खुशबु से भरे फूलों का महत्व माना जाता है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अधिक मेहनत की आवश्यकता नहीं होती है। ये ऐसे देव हैं जो अपने भक्तों से बहुत ही जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं। कहा जाता है कि ये जितना जल्दी प्रसन्न होते हैं उतना ही तेज इनका क्रोध भी है।

भगवान भोलेनाथ को खुश करने के लिए आप उन्हें भांग-धतूरा, और कई तरह के फूल चढ़ाते होंगे। शास्त्रों में बताया गया है कि भगवान शिव को सफेद रंग का फूल अति प्रिय है। लेकिन सफेद रंग के सभी फूल भगवान भोलेनाथ को पसंद नहीं है।अगर आप अनजाने में यह फूल भगवान भोलेनाथ को चढ़ा रहे हैं तो यह समझ लीजिए आप भगवान भोलेनाथ आप पर प्रसन्न होने की बजाय नाराज भी सकते हैं।

इसी के साथ जुड़ी हुई मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि शिवजी की पूजा में केवड़े के फूलों का इस्तेमाल करना वर्जित है। भगवान शिव के पूजन में कई वस्तुओं का इस्तेमाल अशुभ माना जाता है। केवड़े के फूलों के इस्तेमाल से शिव क्यों रुष्ट हो जाते हैं, इससे जुड़ी कथा पुराणों में उल्लेखित है।

कथा के अनुसार ब्रह्माजी और भगवान विष्णु में सबसे श्रेष्ठ कौन है, इस बात को लेकर विवाद हो गया था। इस बात का हल निकालने के लिए भगवान शिव ने ज्योतिर्मय लिंग रुप धारण किया और कहा कि जो इसके शुरुआत और अंत का पता लगाएगा वही सबसे श्रेष्ठ माना जाएगा। अंत का छोर नहीं मिलने के कारण भगवान विष्णु वापस लौट आए और शिव जी से माफी मांगने लगे और कहा कि आप ही आदि और अंत हैं।

जब काफी चलने के बाद भी ज्योतिर्लिंग का आदि अंत का पता नहीं चला तो ब्रह्मा जी ने देखा कि एक केतकी फूल भी उनके साथ नीचे आ रहा है। ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को बहला फुसलाकर झूठ बोलने के लिए तैयार कर लिया और भगवान शिव के पास पहुंच गए।

ब्रह्मा जी ने कहा कि मुझे ज्योतिर्लिंग कहां से उत्पन्न हुआ है यह पता चल गया। ब्रह्मा जी ने अपनी बात को सच साबित करने के लिए केतकी के फूल से गवाही दिलवाई। लेकिन भगवान शिव ब्रह्मा जी के झूठ को जान गए और ब्रह्मा जी का एक सिर काट दिया इसलिए ब्रह्मा पंचमुख से चार मुख वाले हो गए। तब ब्रह्मा जी का घमंड चूर हुआ।

झूठ बोलने के कारण भगवान शिव ने उन्हें श्राप दिया कि सभी देवताओं की पूजा होगी लेकिन इस सृष्टि का निर्माण करने के बाद भी आपको सम्पूर्ण सम्मान की प्राप्ति नहीं मिलेगी।

ब्रह्मा जी के झूठ में केवड़े के फूल ने उनका साथ दिया था, इस कारण से भगवान शिव ने उसे श्राप दिया कि जब-जब मेरी पूजा होगी, किसी भी रुप में तेरा इस्तेमाल नहीं होगा। सुंदर और खुशबूदार होने के बाद भी जो तेरा इस्तेमाल में मेरी पूजा में करेगा, उसकी पूजा विफल हो जाएगी।

इसी कारण से भगवान शिव की पूजा में केवड़े यानी केतकी के फूल का इस्तेमाल वर्जित माना जाता है। ब्रह्मा जी और भगवान विष्णु को उनकी गलती का अहसास हुआ और उन्होनें भगवान शिव से माफी मांगी और उनकी स्तुति का पाठ किया।

केतकी फूल को भगवान शिव ने झूठ बोलने के कारण अपनी पूजा से वर्जित कर दिया है तो देवी सीता ने भी केतकी फूल को झूठ बोलने के कारण शाप दिया है। देवी सीता के शाप के कारण केतकी फूल को देव पूजा शामिल नहीं किया गया है।

केतकी को देवी सीता शाप कैसे मिला इसकी कथा बड़ी ही रोचक है। एक बार भगवान राम लक्ष्मण और देवी सीता के साथ गया में दशरथ जी का श्राद्घ करने पहुंचे। जबतक भगवान राम श्राद्घ की सामग्री लेकर लौटे उससे पहले ही दशरथ जी पिण्डदान मांगने देवी सीता के पास आ पहुंचे। देवी सीता ने कौआ, फल्गु नदी, केतकी और गाय को साक्षी मानकर दशरथ जी को पिण्डदान दे दिया।

भगवान राम जी लौटकर आए तो देवी सीता ने दशरथ जी को पिण्डदान देने की बात बताई। भगवान राम ने जब पूछा कि कोई साक्षी है तो बताओ। देवी सीता ने कौआ, फल्गु नदी, केतकी और गाय को अपना साक्षी बातया। लेकिन जब भगवान राम ने इनसे पूछा कि क्या देवी सीता ने दशरथ जी को पिण्डदान दिया है तो गाय के अलावा सभी ने झूठ बोला। इससे नाराज होकर देवी सीता ने कौआ, फल्गु नदी और केतकी फूल को शाप दे दिया।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.