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एशिया के सबसे बड़े रेड लाइट एरिया सोनागाछी की मिटटी से क्यों बनाई जाती है दुर्गा माँ की मूर्तियाँ

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दुर्गा पूजा में माता दुर्गा की विशाल मूर्तियों का एक विशेष महत्व होता है. किन्तु इस पवित्र पर्व की बात कोलकाता की दुर्गा-पूजा के बगैर अधूरी है. सम्पूर्ण भारत में लोकप्रिय इस पूजा हेतु यहाँ विशेष मिट्टी के द्वारा माता की मूर्तियों का निर्माण किया जाता है तथा उस मिट्टी का नाम है ‘निषिद्धो पाली’.

अब विचार का विषय ये है कि निषिद्धो पाली आखिर है क्या? निषिद्धो पाली वेश्याओं के निवास स्थान अथवा क्षेत्र को कहा जाता है. कोलकाता के कुमारतुली क्षेत्र में भारत की सर्वाधिक देवी प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है. वहाँ निषिद्धो पाली के रज के तौर पर सोनागाछी की मिट्टी का उपयोग होता है.

Why is the largest red light area of ​​Asia made from the soil of Sonagachhi, the idols of Durga Maa

सोनागाछी क्षेत्र कोलकाता में देह व्यापार का गढ़ माना जाता है. जी हाँ, हम चर्चा कर रहे हैं रेडलाइट एरिया की, जहाँ की स्त्रियों को कभी भी सम्मान की दृष्टि से तो नहीं देखा जाता है किन्तु बिना इनकी मदद के माँ की पूजा अधूरी एवं बेमानी है. बता दें कि ‘सोनागाछी’ सम्पूर्ण एशिया में सबसे बड़ा रेडलाइट एरिया माना जाता है.

Why is the largest red light area of ​​Asia made from the soil of Sonagachhi, the idols of Durga Maa

मान्यता है कि जब भी एक स्त्री अथवा कोई अन्‍य व्यक्ति वेश्यालय के द्वार पर जाकर खड़ा होता है तो भीतर जाने से पूर्व अपनी समस्त पवित्रता एवं अच्छाई को वहीं पर छोड़कर प्रवेश करता है, इसी वजह से यहां की मिट्टी अत्यंत पवित्र मानी जाती है. इसी वजह से वेश्यालयों के द्वार की अथवा उस क्षेत्र की मिट्टी को मूर्ति में लगाया जाता है.

कुछ पौराणिक कथाओं में वर्णन मिलता है कि प्राचीन काल में एक वेश्या हुआ करती थी जो माँ दुर्गा की अन्नय भक्त थी. उसे सामाजिक तिरस्कार से बचाने हेतु माँ ने खुद आदेश देकर उसके आंगन की मिट्टी से स्वयं की मूर्ति स्थापित करवाने की परंपरा प्रारम्भ करवाई. उसको वरदान दिया था कि यहाँ की मिट्टी के उपयोग के बगैर प्रतिमाएं पूर्ण नहीं होंगी.

इतना ही नहीं माना ये भी गया है कि महिला एक शक्ति है, जिनकी पूजा होनी ही चाहिए, यदि वो वेश्या बनी है तो इसमें उनकी गलती नहीं अपितु समाज की है. अतः उनके निवास स्थानों की मिट्टी को प्रतिमा में मिलाने से उन्हें सम्मान दिया जाता है क्योंकि माँ के आंचल से पावन कोई स्थान नहीं तथा जहां कि मिट्टी उनके शरीर पर लगी हो तो फिर वहां को लोग अपवित्र कैसे हो सकते हैं?

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