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आखिर क्यों कहा जाता है, मूंगफली को गरीब का बादाम

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हर मौसम में मूंगफली का स्वाद दोगुना हो जाता है. इसे गरीबों का ‘बादाम’ भी कहते हैं. सफर के दौरान टाइमपास करना हो या फिर फैमिली के साथ कहीं पिकनिक मनाने गए हों, ज्यादातर लोगों के हाथ में मूंगफली का पैकेट जरूर देखने को मिलता है. लोग आज भी ठंड में छत पर बैठकर मूंगफली के साथ गुनगुनी धूप का मजा लेते हैंयह एक ऐसा ड्राई फ्रूट है को अमीर से आमिर एवं गरीब से गरीब तक खातें है साथ ही यह हमारे शरीर में तोग्प्रतिरोधक शमता को भी बढाता है जैसे की ” हीमोफीलीया ” एक भयानक जानलेवा रोग है

जिसमें खून के अंदर जमने की ताकत नही होती | थोडी सी रगड़ लग जाने से इतना रक्त निकलता है कि रोगी की मौत तक हो जाती है | एलोपैथी में तो इसका कोई ईलाज ही नही है, देशी घरेलु दवाओ में इसका ईलाज मूंगफली में है | यह “हीमोफीलीयाँ” रोग में जादू जैसा असर दिखाती है |यही नही आज मूंगफली का तेल चर्म रोगों में उपयोग हो रहा है | परन्तु यह वात , बलग़म , और खाँसी पैदा करती है ,

इसका भी ईलाज बता दूँ , मूंगफली खा कर पानी न पिए , गुड़ खा लें |मूंगफली खाने से दूध, बादाम, घी की पूर्ती हो जाती है | मूँगफली शरीर में गर्मी पैदा करती है , इसलिए सर्दी के मौसम में बहुत लाभकारी है |बलगमी खाँसी में यह बहुत लाभकारी है |फेफडो़ को ताकत देती है ओर मेदे को भी |थोडी मूंगफली रोज खाने से मोटापा बढ़ता है इसको भोजन के साथ जैसे सब्जी , खीर , खिचड़ी, आदि में डालकर रोज खाएं, तेल का अंश होने से यह गैस की बिमारीयों को नष्ट करती है , पाचन शक्ति बढ़ाती है लेकिन गर्म प्रकृति वालो के लिए हानिकारक है | ज्यादा खाने से गर्मी बढ़ जाती है, अतः सिमित मात्र में ही मूंगफली का प्रयोग करना चाहिए

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