मुस्लिम लड़कियां पर्दा क्यों करती हैं, ? इसके पीछे की सच्चाई आपको भी हैरान कर देगी
मुस्लिम धर्म में कई नियम और कानून है वही कुरान में भी खास करके महिलाओं के लिए बहुत से कानून हैं जैसे कि महिलाओं का पर्दे में रहना। मुस्लिम धर्म के अनुसार किसी भी स्त्री को बिना सिर पर पर्दे के नहीं रहना चाहिए। चाहे वह 5 साल की बच्ची हो या कोई बूढ़ी औरत। वही मुस्लिम धर्म में पुरुषों के लिए भी कुछ नियम है जैसे कभी किसी पराई स्त्री की तरफ गलत नजर से ना देखना। इसको इस्लाम धर्म में पाप माना गया है चलिए जानते हैं इस पर्दे के पीछे की पूरी कहानी।अगर आप मुस्लिम है तो आप शायद पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब और उनके परिवार के बारे में जानते हो।उनके परिवार में स्त्रियों का स्वभाव ऐसा था कि मोहम्मद साहब के पूरे जीवन में उन्होंने अपने घर की महिलाओं की परछाई तक नहीं देखी।
मैं अपने बेहतरीन सलीके के लिए पूरे मक्का में प्रसिद्ध थे।वहीं से मुस्लिम समाज में पर्दे को अदब जताने का जरिया मान लिया गया। और पूरे मुस्लिम धर्म ने इसको अपने जीवन में अपना लिया।अगर हम कुरान के अनुसार देखें तो हमें इसमें यह पढ़ने को मिलता है कि मुस्लिम महिलाओं को ऐसा लिबास पहनना चाहिए। जिसमें उनके हाथ, पाँवों, और सिर्फ चेहरा नजर आ सके। बाकी का शरीर पूरी तरीके से ढका होना चाहिए। और ऐसा लिबास तब आवश्यक हो जाता है जब उनके आसपास उनके परिवार के अलावा कोई बाहरी शख्स हो या कोई ऐसा शख्स जिससे उनकी शादी ना हुई हो।
महिलाएं कई अलग-अलग परिधान पहनती हैं जिनमें बुर्का, हिजाब,नकाब आदि शामिल है। पश्चिमी देशों की मुस्लिम महिलाएं बुर्के के बजाय हिजाब पहनना ज्यादा पसंद करती हैंक्योंकि हिजाब के जरिए सिर्फ सिर और गर्दन को ढका जाता है। जबकि बुर्के में महिलाओं का पूरा शरीर ही ढक जाता है इसमें सिर्फ महिला की आंखें ही दिखाई देती हैं।धीरे-धीरे इन पुराने रीति-रिवाजों में बदलाव आ रहा है। और शायद कुछ समय बाद ऐसा भी हो सकता है कि महिलाएं पूरी तरीके से बुर्का पहनना बंद कर दें