centered image />

खजुराहो के मंदिरों में क्यों बनाई गई मूर्तियां 

0 1,065
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

खजुराहो के मंदिर अपनी कामुक, सम्भोगरत और नग्न मूर्तियों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। यह मूर्तियां खजुराहों के मंदिरों की केवल बाहरी दीवारों पर उकेरी गयी है। हर साल लाखों देसी-विदेशी सैलानी इन्हें देखने पहुँचते है। खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई.से 1050 ई.के बीच हुआ है। खजुराहो में पहले 85 मंदिर थे, लेकिन अब 22 ही बचे हैं।

इन मंदिरों में मूर्तियों का निर्माण इतनी बेहतरी से किया गया है कि इसे देखने के बाद किसी के मन में बुरा ख्याल नहीं आता,क्योंकि सभी मूर्तियों की खूबसूरती में खो जाते हैं। ये मूर्तियां प्राचीन सभ्यता की विशेषता बताने के लिए काफी हैं। हालांकि कई बार मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर मंदिर के बाहर इस तरह की मूर्तियां बनाने के पीछे राज क्या हो सकता है। इस बारे में एक राय नहीं मिलता। अलग-अलग विश्लेषकों ने अलग-अलग राय दी है। जो इस प्रकार हैं।

कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे। इसी कारण खजुराहो मंदिर के बाहर नग्न एवं काम की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।

यौन की शिक्षा

दूसरे समुदाय के विश्लेषकों का यह मानना है कि इसे प्राचीन काल में यौन की शिक्षा की दृष्टि से बनाया गया है। ऐसा माना जाता है कि उन अद्भुत आकृतियों को देखने के बाद लोगों को काम क्रिया की सही शिक्षा मिलेगी। प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए यौन की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।

चार रास्तों से होकर गुजरना

कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है- धर्म, अर्थ, योग और काम। ऐसा माना जाता है कि इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ और सिर्फ भगवान का शरण ही मिलता है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।

धर्म की रक्षा

कुछ और लोगों का इन सबके अलावा इसके पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है। इन लोगों के अनुसार जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेजी के साथ हो रहा था। चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि कामुकता की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है। इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं यौन की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.