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ये महिलाएं हनुमान जी की सजा क्यूँ भोग रही है

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जैसा की हम सभी जानते है हिन्दू धर्म में हनुमान जी को संकट को तारने वाला माना जाता है, यह हम सभी के कष्टों को दूर करते है। लोग अपनी कैसे भी समस्या हो उससे निजात पाने के लिए हनुमान जी को प्रसान करने में लग जाते है मगर एक गाँव ऐसा है जहाँ पर हनुमान जी की वजह से तकलीफ में है वहां की महिलाएं, तो आइये जानते है क्या है कारण

ये बात रामायण के समय की है जब लक्षमण जी के लिए हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने द्रौनागिरी पर्वत पर गए थे, यह पहाड़ आज भी उत्तराखंड में स्थित चमोली नाम से मशहूर है, रामचरितमानस में लिखा गया है की जब हनुमान जी संजीवनी जड़ी बूटी को दुढ़ते हुए गाँव पहुचे तो एक काफी वृद्ध औरत से उस बूटी के बारे में पूछा, जब महिला ने ऊँगली से इशारा किया और हनुमानजी समझ नहीं पाए तो वो पूरा पहाड़ ही ले गए थे।

पुरानो के अनुसार यह पहाड़ द्रोणागिरी गाँव वालों के लिए बहुत आराध्य माना जाता था। इसी कारण यहाँ पर न तो हनुमान जी की पूजा की जाती है न ही हनुमान जी का कोई मंदिर यहाँ पर बनाया गया है।

माना जाता है की उस वृद्ध महिला की वजह से उनके आराध्य पहाड़ को हनुमान जी वहां से ले गए थे, इसलिए उस वृद्ध महिला को समाज से बहिस्कृत कर दिया गया था और आज भी जब भी कोई हनुमान जी से संभंधित कोई भी त्यौहार या दिन होता है यहाँ के लोग महिलाओं के हाथ से भोजन ग्रहण नहीं करते, साथ ही यहाँ पर किसी को भी हनुमान जी का लाल झंडा लगाने की भी अनुमति नहीं है।

यह सभी शाश्त्रों और पुरानों पर आधारित है, इसका विवरण रामचरितमानस में बहुत विस्तार से बताया गया है।
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