क्यों हो रहे है लोग सूर्यवंशी से निराश, क्या नहीं होगी यह फिल्म ब्लॉकबस्टर?
अक्षय की फिल्म ‘सूर्यवंशी’ का इंतज़ार ना जाने कितने समय से किया जा रहा था। फैंस फिल्म की हर एक झलक के सामने आते बांवले हुए जा रहे थे। लेकिन जब हमारे सामने ट्रेलर आया तो साफ़ हो गया कि ये फिल्म भी बाकी फिल्मों की तरह हमारी उसी कमज़ोरी का फायदा उठाती है।
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आतंकवादियों ने हमारे बेहिसाब भाई-बहनों की जान ली है।
बॉलीवुड वाले इसी बात को अपने पक्ष में इस्तेमाल करते हैं और फिल्मों में आतंकवादियों से बदला लेते हैं ताकि दर्शक उत्साहित हो सकें। ट्रेलर में बताया जाता है कि 1993 के दंगों में 1 टन आरडीएक्स मुंबई में आया था पर इस्तेमाल 400 किलो हुआ था और बाकी का अभी भी कहीं दबा हुआ है।
परंतु क्या मुंबई में साल 1993 में हुए दंगों को आधार बनाकर दर्शकों की भावनाओं के साथ खेलना सही है?
ट्रेलर में असलियत और फिक्शन को बहुत बारीकी से मिलाया गया है।
क्या दर्द भरी सच्ची घटनाओं में ऐसी काल्पनिक कहानी को मिश्रित करके इसका मुद्रीकरण करना उचित है?
हम बस आपसे सवाल पूछ रहे हैं, सही जवाब सोचने की योग्यता आप खुद रखते हैं।
फिर फिल्म को रोहित शेट्टी के कोप यूनिवर्स की तीसरी इन्सटॉलमेंट में ढालने के लिए फिल्म में रणवीर और अजय की एंट्री की जाती है। रणवीर और अजय वाले सभी सीन तसल्ली से फिल्माए गए हैं जबकि अक्षय जब भी अकेले स्क्रीन पर आते हैं तो बेहद कमज़ोर नज़र आते हैं।
अक्षय की डायलॉग डिलीवरी भी खराब होती जा रही है, इसके पीछे का कारण है ज़्यादा वर्कलोड।
अक्षय साल में चार-चार फिल्में करने लगे हैं।
परिणाम स्वरुप प्रत्येक फिल्म में उनकी एक्टिंग क्वालिटी निखर कर नहीं आप पा रही है।
हम अक्षय से अपील करते हैं कि दर्शकों को मात्रा नहीं बल्कि गुणवत्ता चाहिए और हमारे पुराने ज़ख्मों को कुरेदने वाली फिल्में बेचने की बजाए शुद्ध ओरिजिनल कंटेंट बनाया जाए।
अक्षय से दर्शकों की अपेक्षाएं अधिक हैं पर वह मापदंडों पर खड़े नहीं उतर पा रहे हैं।
आप कमैंट्स में बताएं कि सूर्यवंशी ब्लॉकबस्टर होनी चाहिए या नहीं?