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जब पुलिस FIR ना लिखे तो क्या करें ? जानें अपने अधिकार

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जब पीड़ित व्यक्ति की शिकायत को पुलिस दर्ज करने से मन कर देती है, तो पीड़ित व्यक्ति के पास और भी तरीके होते है. आज हम आपको बताएंगे की जब पुलिस आपकी FIR लिखने से मन कर दे तो क्या करे ?

कब लिखवाई जाती है एफआईआर?

जब कोई व्यक्ति किसी तरह का कोई अपराध करता है तो पुलिस के पास अधिकार होता है की वह बिना कोर्ट के अरेस्ट वॉरेंट के वह उस व्यक्ति को अरेस्ट कर उससे पूछताछ कर सकती है पुलिस के पास अधिकार होता है की वह आरोपी व्यक्ति को अरेस्ट कर उससे पूछताछ कर सकती है।

कैसे लिखवाएं FIR ?

पीड़ित व्यक्ति या किसी अपराध का गवाह पुलिस स्टेशन में लिखित या फिर मौखिक तरह से FIR दर्ज करवा सकता है..कॉल के माध्यम से भी पुलिस में रिपोर्ट रजिस्टर की जा सकती है

पुलिस रिपोर्ट न लिखे तो क्या करें?

1- पीड़ित व्यक्ति की शिकायत को यदि पुलिस रजिस्टर करने से मना करती है तो पीड़ित व्यक्ति अपनी शिकायत ऑनलाइन रजिस्टर करा सकते हैं अपनी शिकायत ऑनलाइन रजिस्टर करने के लिए आपको अपने एरिया की पुलिस वेबसाइट पर जाना होगा

2- दिल्ली में e-FIR ऐप के माध्यम से भी FIR दर्ज कराई जा सकती है, जिसके लिए आपको अपने फोन पर इस ऐप को इंस्टॉल करना होगा जिसके बाद आप आसानी से अपनी एफआई दर्ज करवा सकते हैं

3- पुलिस यदि आपकी शिकायत को दर्ज करने से मना करती है तो आप इस बात की शिकायत सीनियर ऑफिसर्स से कर अपनी बात रख सकते हैं

4- यदि फिर भी आपकी कोई सुनवाई नहीं कर रहा है या शिकायत नहीं लिख रहा है तो आप CRPC के सेक्शन 156 (3) के अंतर्गत मेट्रोपॉलिटिन मजिस्ट्रेट के पास इस बात की शिकायत करने का अधिकार होता है

5- यदि कोई अधिकारी आपकी एफआईआर लिखने से मना करता है या फिर वह FIR दर्ज नहीं करते है तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश अनुसार उन पर एक्शन लिया जा सकता है

6- सुप्रीम कोर्ट के निर्दश के अनुसार पीड़ित व्यक्ति ले द्वारा FIR दर्ज करने के पहले हफ्ते के अंदर ही फर्स्ट इन्वेस्टिगेशन पूरा हो जाना चाहिए।

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