डायबिटीज के किडनी पर दुष्प्रभाव को रोकने के लिए क्या उपाय करें
आज देश में 6.8 करोड़ लोग डायबिटीज से ग्रसित है. आशंका है की 2040 में यह संख्या 14 करोड़ से ज्यादा हो सकती है. दुनिया में मधुमेह की राजधानी बन चुके देश में हर 12वा व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है और 2 में 1 को डायबिटीज होने की आशंका है. हमारे देश में चुनौती यह है की मरीज को डायबिटीज है यह उसे भी काफी देर बाद पता चलता है, जिससे उपचार में देरी होती है. समय पर अनियमिमता को पहचान लिया जाए, तो उपचार भी जल्दी शुरू किया जा सकता है.
क्या है डायबिटिक नैफरोपैथी:
डायबिटिक नेफ्रोपेथी यानी किडनी पर डायबिटीज का असर किडनी फेलियर का सबसे बड़ा कारण है. शुगर को सामान्य स्तर पर लाकर, संतुलित स्वास्थवर्धक आहार लेकर, चब्रियुक्त खाद्य से दुरी बनाकर, एक-साथ बहुत सारा भोजन के बजाय उसे छोटे-छोटे मिनी आहार में तब्दील करके लेने, 45 मिनट नियमित टहलने और 7-8 घंटे सोने और तनाव रहित रहने से डायबिटीज के किडनी पर असर को दूर रखा जा सकता है.
यह रोग होता कैसे है: डायबिटिक नेफ्रोपेथी मधुमेय से जुड़ा रोग है. मधुमेय के विभिन्न अंगो पर असर के कारण ही इसे ख़तरनाक कहा जाता है. जब यह आखों पर प्रभाव डालती है. तो उसे रेटिनोपेथी और जब किडनी पर प्रभाव पड़ता है तो उसे नेफ्रोपेथी कहते है.
किडनी फेलियर को कैसे रोक सकते है
अगर किडनी पर असर दिखाई देने लगा है तो शुरुआत से ही इसे गभीरता से लेना आवश्यक है.डॉक्टर की सलाह का पालन जरूरी है. ऐसे में मधुमेय की दवाइयों में तब्दीली करनी पड़ती है. ऐसी दवाइयों का प्रयोग करना होता है, जिससे किडनी पर प्रभाव कम हो. कई बार इंसुलिन लेने की आवश्यकता भी होती है.
किडनी फेल होने का सबसे बड़ा कारण
लगातार पेन किलर खाने से भी किडनी पर दुष्प्रभाव होता है. डायबिटीज की वजह से किडनी में ख़राबी के हर मरीज को डायलिसिस की जरूरत नहीं होती. इसकी जरूरत तभी पड़ती है जब रोग बहुत ज्यादा बढ़ जाए और किडनियां काम करना बंद कर दे. आजकल ऐसी दवाए मौजूद है, जिससे शुगर लेवल को नियंत्रित रखने के साथ ही किडनी पर उसके दुष्प्रभाव को रोका जा सकता है.
जीवनशैली में क्या बदलाव बीमारी से बचा सकते है
शारीरिक व्यायाम का नियम जरूरी है.
योग तनाव कम कर सकता है. योग करना चाहिए.
जुम्बा कर सकते है.
अधिक से अधिक पैदल चलना चाहिए.