centered image />

क्या होती है खांसी और इलाज

0 6,122
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

खांसी यूं तो अपने आप में कोई बीमारी नहीं है, पर यह शरीर के अंदर पनप रही या पनपने की कोशिश कर रही दूसरी बीमारियों का लक्षण जरूर है। वैसे, आम इलाजों से खांसी ठीक भी हो जाती है, पर कई बार यह किसी गंभीर बीमारी की ओर भी इशारा कर सकती है, इसलिए इसे नजरअंदाज करना ठीक नहीं है।
पढिये एक्सपर्ट की राय

क्या होती है खांसी
खांसी फेफड़ों, सांस की नलियों और गले में इन्फेक्शन या किसी कमी की वजह से होती है। नाक या मुंह की बीमारियों से खांसी नहीं होती। खांसी फेफड़ों या श्वसन तंत्र की किसी दूसरी बीमारी का लक्षण है, यानी खांसी इशारा है इस बात का कि शरीर के अंदर कोई बीमारी है। इसे शरीर का एक तरह का सुरक्षा मिकेनिज्म या उपाय भी कह सकते हैं। खांसी करके हमारा सिस्टम शरीर को बीमारियों के जीवाणुओं और कीटाणुओं से मुक्ति दिलाने की कोशिश करता है। इसमें हमें थोड़ी तकलीफ तो जरूर होती है क्योंकि मांसपेशियों व शरीर के बाकी अंगों पर जोर पड़ता है, लेकिन असल में उस समय शरीर अंदर ही अंदर अपनी रक्षा करने की कोशिश कर रहा होता है। हालांकि कई बार खांसी दूसरों तक बीमारी के कीटाणु या जीवाणु फैलाने का कारण भी बन जाती है।

कितनी तरह की होती है
सामान्य खांसी, ठस्के वाली खांसी (जिसका दौरा पड़ता है), कुकुर खांसी, काली खांसी और दमे से होने वाली खांसी। काली खांसी ऐसी खांसी को कहते हैं, जो लगातार आए, जिसमें सांस लेने का भी मौका न मिले और काफी देर बाद सांस आता हो। खांसी का ठस्का-सा लगता है। अमूमन यह बच्चों और किशोरों को होती है।

क्यों होती है खांसी
दमे से, गले में इन्फेक्शन से, टॉन्सिल्स से, फेरॅनजाइटिस से, ब्रोंकाइटिस से, फेफड़ों के इन्फेक्शन या दूसरी बीमारियों से, न्यूमोनिया से, दिल की बीमारियों की वजह से, बच्चों में पेट के कीड़ों के फेफड़ों में पहुंचने पर और एसिडिटी आदि से खांसी होती है।

हो सकती है यह दिक्कत
खांसी में बेचैनी, आंखों में खून या लाली आ जाना, सिरदर्द, कभी-कभी फेफड़ों में सूजन होना, मांसपेशियों पर जोर पड़ने से छाती में दर्द आदि हो सकता है।

क्या संकेत करती है
आपके श्वसन तंत्र या गले या फेफड़ों में कोई तकलीफ है, उसे नजरअंदाज न करें। लगातार तीन हफ्ते से ज्यादा खांसी रहे तो टीबी का संकेत हो सकती है, जिसकी पूरी जांच होनी चाहिए।

एलोपैथी
एलोपैथी के अनुसार खांसी अलग-अलग तरह की होती है – नाक की खांसी, गले की खांसी, फेफड़े या दिल की खांसी। नाक की खांसी को नैसल एलर्जी या नैसल अस्थमा भी कहते हैं। इसमें खांसी के साथ छींकें व नाक से पानी बहता है।

दवा : सिट्रिजिन-10 एमजी ( Cetrizine ) या एलेग्रा-120 एमजी ( Allegra ) की एक गोली रोज।

गले की खांसी
गले की खांसी सूखी व बलगम वाली, दोनों हो सकती है। एक में गले में सिर्फ खराश होगी और खांसी नहीं आएगी। दूसरे में खराश के साथ खांसी आएगी।
खराश के साथ खांसी आए तो विटामिन-सी की गोली के साथ सिटजिन-10 एमजी या एलेग्रा-120 एमजी या तीन बार विकोरिल (Wikoryl) की गोली दी जा सकती है। अगर सिर्फ खराश हो तो पेंसिलिन ग्रुप की दवाएं दी जा सकती हैं।

फेफड़े या दिल की खांसी
खांसी में अगर बलगम के साथ सीटी भी बज रही है तो फेफड़ों की खांसी कही जाएगी। इसके लिए ब्रोंकोडिल या ब्रोंकोरेक्स सिरप के अलावा इनहेलर भी दिया जा सकता है।
अगर बिना बलगम और बिना सीटी के सूखी खांसी है तो यह हार्ट का अस्थमा हो सकता है। इसमें फौरन जांच करानी चाहिए। जांच के बाद ही दवाएं दी जा सकती हैं।
इसके अलावा, साइनस या एसिडिटी से होने वाली खांसी भी होती है। इनमें भी जांच के बाद लक्षणों के अनुसार दवा दी जाती है।

नोट : किसी भी दवा सेवन डाक्टर की सलाह के बिना न करें 

Sab Kuch Gyan से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.