यादों के झरोखों से- गुज़रे ज़माने के रोमांटिक सदाबहार अभिनेता बिस्वजीत के बारें में जानकारी
पुकारता चला हूँ मैं
गली गली बाहर की
बस एक छावं ज़ुल्फ़ की
बस इक निगाह प्यार की
पुकारता चला हूँ मैं……
60 के दशक में विख्यात अभिनेता बिस्वजीत और आशा पारेख के अभिनय से सजी फिल्म-‘मेरे सनम’ का ये गीत आज भी उतना ही लोकप्रिय है जितना फिल्म के रिलीज के समय था।गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी द्वारा लिखे इस गीत को अपने मधुर संगीत से सवांरा था संगीतकार ओ पी नय्यर ने।फिल्म निर्देशक अमर कुमार द्वारा निर्देशित व जी पी सिप्पी द्वारा निर्मित फिल्म-‘मेरे सनम’ 13 नवम्बर 1965 को प्रदर्शित हुई थी। इस फिल्म में प्राण और मुमताज़ की भी अहम भूमिका थी।इस फिल्म के सभी गानों ने धूम मचाई और अभिनेता बिस्वजीत का चारो तरफ डंका बजने लगा।
14 दिसंबर1936 कलकत्ता (अब कोलकाता) पश्चिम बंगाल में जन्मे अभिनेता बिस्वजीत (बिस्वजीत रंजीत कुमार चटर्जी) स्वाभाविक अभिनय और आकर्षक व्यक्तित्व के लिए आज भी सिने दर्शकों के ज़ेहन में हैं।अभिनेता बिस्वजीत के अभिनय के सफर की शुरूआत बंगाली फिल्मों से हुई। माया मृग (1960) और दुई भाई (1961) जैसी सफल बंगाली फिल्मों में अभिनय के बाद बिस्वजीत कोलकाता से मुंबई फिल्म इंडस्ट्री आए। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री ने बंगाली फिल्मों के इस सफल अभिनेता को सिर-आंखों पर बिठाया। परिणामस्वरूप बेहद कम वक्तमें विश्वजीत की झोली हिंदी फिल्मों से भर गयी। 1962 में बिस्वजीत की पहली हिंदी फिल्म ‘बीस साल बाद’ रिलीज हुई और जम के चली। देखते-ही-देखते विश्वजीत हिंदी फिल्मों के स्टार बन गए। उसके बाद कोहरा, बिन बादल बरसात, मज़बूर,कैसे कहूँ ,पैसा या प्यार, मेरे सनम(1965), शहनाई, आसरा, अप्रैल फूल (1964), नाईट इन लंदन,ये रात फिर ना आयेगी (1966), किस्मत, दो कलियां (1968), इश्क पर जोर नहीं और शरारत (1972) जैसी सफल फिल्मों ने बिस्वजीत के फिल्मी कैरियर में चार चाँद लगाए। बिस्वजीत ने अपने समय की लगभग सभी सफल अभिनेत्रियों के साथ काम किया। खासकर आशा पारेख, मुमताज, माला सिन्हा और राजश्री के साथ उनकी रोमांटिक जोड़ी बेहद पसंद की गई।
1969 में अभनेत्री रेखा पहली बार अभिनेता बिस्वजीत के साथ फिल्म-‘अनजाना सफर’ के लिए बतौर नायिका अनुबंधित की गई थी बाद में इस फिल्म का टाईटल ‘दो शिकारी’ रखा गया था।इस फिल्म में रेखा और बिस्वजीत पर फिल्माया गया चुम्बन दृश्य काफी लम्बा होने के कारण इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने 10 वर्षो तक रोक कर रखा था और बाद में बड़ी मुश्किल से इस फिल्म को प्रदर्शन की अनुमति मिल पाई थी। फिल्म-‘अनजाना सफर’ के लिए रेखा और बिस्वजीत पर फिल्माए गए चुम्बन दृश्य को लेकर उड़ी खबरों को उस दौर में प्रकाशित होने वाले ‘लाइफ मैगजीन’ ने प्रमुखता से स्थान दिया था।
हिन्दी फिल्मों में मिली सफलता के बाद भी बिस्वजीत ने बंगाली फ़िल्मों में अभिनय करना नहीं छोड़ा। वे कोलकाता आते-जाते रहे और बंगाली फ़िल्मों में भी अभिनय करते रहे, जिनमें सुपरहिट फ़िल्म ‘चौरंगी'(1968), गढ़ नसिमपुर, कुहेली,श्रीमान पृथ्वीराज (1973),जय बाबा तारक नाथ (1977) और अमर गीति (1983) उल्लेखनीय है। अभिनय के साथ साथ गायन औरफिल्म निर्माण व निर्देशन के क्षेत्र में भी बिस्वजीत समय समय पर अपना तकदीर आजमाते रहे।1970 में आधुनिक बंगाली संगीत अल्बम भी बिस्वजीत द्वारा म्यूजिक मार्केट में लाया गया जिनमें ‘तोमार चोखेर काजोल…’ ,’जय जय दिन…’ उल्लेखनीय हैं,जिन्हें कम्पोज किया था बॉलीवुड के विख्यात संगीतकार सलिल चौधरी ने। वर्ष 1975 में प्रदर्शित फ़िल्म ‘कहते हैं मुझको राजा’ के निर्माण और निर्देशन दोनों की जिम्मेदारी विश्वजीत ने संभाली थी धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, शत्रुघ्न सिन्हा और रेखा अभिनीत इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा बिजनेस किया था। इस फिल्म में उन्होंने एक्टिंग भी किया था। नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन गाथा पर आधारित हिंदी बंगला और इंग्लिश में बन रही बायोपिक फिल्म उनकी अति महत्वाकांक्षी फिल्म है जो निर्माणाधीन है।
इसके अलावा एक अनाम मर्डर मिस्ट्री पर आधारित सस्पेंस फिल्म निर्माणाधीन है जिसमें उनकी पुत्री प्रेयमा चटर्जी उनके साथ काम कर रही है। बिस्वजीत की पहली पत्नी स्व रत्ना चटर्जी से एक पुत्र प्रसन्नजीत चटर्जी और पुत्री पल्लवी चटर्जी हैं जो बंगाल फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े हैं।फिलवक्त अभिनेता बिस्वजीत अपनी दूसरी पत्नी इरा चटर्जी और पुत्री प्रेयमा चटर्जी के साथ मुम्बई में रहते हैं।
1914 में बिस्वजीत ने तृमुल कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार के रूप में न्यू दिल्ली से अपना तक़दीर भी आजमाया था।
अभिनेता बिस्वजीत की मुख्य फिल्में
वर्ष फिल्म
1962 बीस साल बाद
1962 सॉरी मैडम
1963 बिन बादल बरसात
1964 शहनाई
1964 कोहरा
1964 कैसे कहूं
1964 अप्रैल फूल
1965 मेरे सनम
1965 दो दिल
1966 ये रात फिर ना आएगी
1966 सगाई
1966 बीवी और मकान
1966 आसरा
1967 नाइट इन लंदन
1967 नई रोशनी
1967 जाल
1967 हरे कांच की चूडि़यां
1967 घर का चिराग
1968 वासना
1968 किस्मत
1968 कहीं दिन कहीं रात
1968 दो कलियां
1969 तमन्ना
1969 राहगीर
1969 प्यार का सपना
1970 परदेसी
1970 इश्क पर जोर नहीं
1970 मैं सुंदर हूं
1972 शरारत
1973 श्रीमान पृथ्वीराज
1973 मेहमान
1974 दो आंखें
1974 फिर कब मिलोगी
1975 कहते हैं मुझको राजा
(निर्देशक /निर्माता)
1976 जय बजरंगबली
1977 नामी चोर
1977 बाबा तारकनाथ
1979 दो शिकारी
1980 हमकदम
1984 आनंद और आनंद
1985 साहेब
1986 कृष्णा कृष्णा
1986 अल्ला रक्खा
1990 जिम्मेदार
1991 जिगरवाला
1991 कौन करे कुर्बानी
1992 महबूब मेरे महबूब
2002 ईट का जवाब पत्थर
2004 बिरसा-द ब्लैक आयरन मैन
2009 आ देखें जरा
2017 फिर आया सत्ते पे सत्ता
प्रेषक: काली दास पाण्डेय
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