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इन 7 प्रभावी घरेलू नुस्‍खों से करें सर्वाइकल स्‍पॉडिलोसिस का उपचार

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सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस :

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस ऐसी समस्‍या है जो गर्दन के हिस्‍से में स्थित जोड़ों को प्रभावित करती है। आमतौर पर यह समस्‍या उम्र से संबंधित होती है और सर्वाइकल स्‍पाइन की हड्डियों और कार्टिलेज के समय के साथ कमजोर होने के कारण विकसित होती हैं। हालांकि अन्‍य कई कारक जैसे गर्दन दर्द किसी पुरानी चोट या स्वास्‍थ्‍य संबंधी जटिलताओं जैसे लंबे समय तक डेस्क का काम, उठने-बैठने, सोने की गलत स्थिति या कठोर तकिए का इस्तेमाल और हड्डियों का अपने स्थान से खिसक जाना, ट्यूमर या मांसपेशियों में मोच, गर्दन के स्पाइन में अर्थराइटिस, भारी वस्तु्ओं को उठाने का काम आदि से भी यह समस्‍या बढ़ सकती हैं। अगर आप भी सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के दर्द से परेशान हैं तो यहां दिये कुछ घरेलू उपाय आपके लिए मददगार साबित हो सकते हैं।

गाय का घी है फायदेमंद:

आयुर्वेद के अनुसार, गाय के घी में जोड़ों को लुब्रिकेट करने के गुण होते हैं। इसके अलावा, यह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लिए जिम्मेदार वात तत्‍व को शांत करने के लिए भी जाना जाता है। साथ ही कब्‍ज इस समस्‍या को बढ़ाने वाले कारकों में से एक माना जाता है और गाय का घी नियमित रूप से मुलायम दस्‍त पारित करने में मदद करता है। इसलिए गाय का घी सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के लिए सबसे अच्‍छे घरेलू उपचारों में से एक माना जाता है।

ठंडी या गर्म सिकाई:

सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस की समस्‍या से पीड़ि‍त व्‍यक्ति गर्दन के आस-पास की मांसपेशियों में दर्द, कठोर और दर्दनाक महसूस करता है। लेकिन कोल्‍ड और हीट पैड का इस्‍तेमाल कर वह सूजन को कम, मांसपेशियों को आराम और दर्द से कुछ राहत प्राप्‍त कर सकता है।

जड़ी-बूटियों का प्रयोग:

जड़ी-बूटी जैसे हल्‍दी, अदरक, मेथी, अश्‍वगंधा और गुग्‍गुल को अपनी दिनचर्या में शामिल करें। इन जड़ी-बूटियों में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुणों के कारण यह सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस के दर्द को कम करने में मददगार साबित होते हैं। लेकिन इस बात को ध्‍यान में रखें कि कुछ जड़ी-बूटी जैसे मेथी, अदरक, हल्‍दी जैसी जड़ी-बूटी को अपने दैनिक आहार का हिस्‍सा बनाया जा सकता है लेकिन गुग्‍गुल और अश्‍वगंधा को विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए।

कुछ खाद्य पदार्थों से बचें:

आयुर्वेद के अनुसार, नमकीन या खट्टे, तेल में डीप फ्राई, दालें, सूजी और मैदे जैसे खाद्य पदार्थों के सेवन से सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस से पीड़ि‍त व्‍यक्ति को बचना चाहिए क्‍योंकि इसके सेवन से वात दोष बढ़ जाता है। इसकी बजाय अपने आहार में गेहूं, नीम के फूल, करेला, ड्रम स्टिक को शामिल करें। और दर्द के लक्षणों से राहत पाने के लिए और कब्‍ज की समस्‍या से बचने के लिए नियमित रूप से पानी और फाइबर का सेवन बढ़ायें।

मालिश करें:

आमतौर पर जोड़ों और मांसपेशियों में राहत पाने के लिए दर्द वाले स्‍थान पर औषधीय तेलों से मालिश करने से सूजन और दर्द को कम करने में मदद मिलती है। हालांकि सर्वाइकल स्‍पोंडिलोसिस में कुछ प्रकार की मालिश से बचना चाहिए क्‍योंकि दबाव से कई बार समस्‍या सुलझने की बजाय बढ़ जाती है। इसलिए मालिश करने से पहले विशेषज्ञ से परामर्श अवश्‍य लें।

योगासन:

कुछ योग मुद्राएं जैसे लोट्स पोज (पद्मासन), स्टिक पोज (यष्टिकासन), पाम ट्री पोज (ताड़ासन) सर्वाइकल स्‍पोंडिलोसिस के दर्द को कम करने में बहुत मददगार होती हैं। इसलिए सर्वाइकल स्‍पोंडिलोसिस के दर्द और गर्दन के तनाव को कम करने के लिए इसे नियमित रूप से अपनी दिनचर्या में शामिल करें।

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