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सच्चा विश्वास न केवल तकलीफ दूर करता है, ब्लकि तकलीफ पर चलने की शक्ति भी देता है।

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विश्वास से कई शब्द और कई रिश्ते बनाए जाते हैं, अगर बात की जाए तो संसार का हर एक रिश्ता विश्वास पर ही टिका हुआ है, जहां विश्वास कमजोर है, वहीं वो रिश्ता भी जल्द खत्म हो जाता है,लेकिन आज हम आपसे संसारिक रिश्तों की बात नहीं कर रहे, आज हम आपसे उस रिश्ते की बात कर रहे हैं, जो एक सच्चे मसीही व्यक्ती का उसके प्रभु यीशु मसीह के साथ होता है।जीवन से निराश होकर जब एक टूटा और हारा हुआ इंसान प्रभु यीशु मसीह की शरण मे आता है, तो यीशु मसीह उस व्यक्ती को अपने सच्चे प्रेम के द्वारा सम्भाल लेते हैं,

और उसे उन सारी निराशाओं और कठिनाइयों से छुड़ा लेते हैं, और उस व्यक्ती को यह एहसास दिलाते हैं कि, परमेश्वर का एक सच्चे मनुष्य के साथ कितना गहरा रिश्ता होता है।और हर मनुष्य यह जान लेता है कि, परमेश्वर का प्रेम ही निस्वार्थ और सच्चा प्रेम होता है।धीरे-धीरे जब मनुष्य परमेश्वर के उस पवित्र प्रेम की नजदीकी मे जाता है, तो उसे अनुभव होता है, कि परमेश्वर उस से कितना प्रेम करता है, और जब एक मनुष्य परमेश्वर के प्रेम को महसूस कर लेता है, तो संसार का प्रेम उसे मात्र शून्य दिखाई देता है,

क्योंकि उसका आनंद केवल परमेश्वर के प्रेम और उसकी भक्ति मे ही होता है, दोस्तों परमेश्वर का प्रेम और उसके प्रति हमारा जो विश्वास होता है,वह हमे हर तरह की कठिनाइयों से दूर करता है, और कई बड़ी से बड़ी कठिनाई मे आसानी से चलने की ताकत भी देता है, क्योंकि हमे विश्वास होता है, कि जिस परमेश्वर पर हमने विश्वास किया है, वह हर पल हमारी सहायता करने के लिए तैय्यार रहता है। और वही है जो हमारे धीरज और विश्वास की भी परीक्षा लेता है। की हम उसके प्रति कितने विश्वासी हैं। और हमारे विश्वास को परखकर ही वह हमे ताकत और सामर्थ देता है।

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