centered image />

सफलता के top-10 योगा टिप्स

0 1,056
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

योगा का पालन करने से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक शक्ति बढ़ जाती है, जिसके कारण उसका कार्य और व्यवहार और अच्छे से अमल में आता है|

(1) अंग-संचालन : अंग-संचालन को सूक्ष्म व्यायाम भी कहते हैं। इसे आसनों की शुरुआत के पूर्व किया जाता है। इससे शरीर आसन करने लायक तैयार हो जाता है। सूक्ष्म व्यायाम के अंतर्गत नेत्र, गर्दन, कंधे, हाथ-पैरों की एड़ी-पंजे, घुटने, नितंब-कुल्हों आदि सभी की बेहतर वर्जिश होती है।

(2) प्राणायाम : अंग-संचालन करते हुए यदि आप इसमें अनुलोम-विलोम प्राणायाम भी जोड़ देते हैं तो यह एक तरह से आपके भीतर के अंगों और सूक्ष्म नाड़ियों को शुद्ध-पुष्ट कर देगा।

(3) मालिश : बदन की घर्षण, दंडन, थपकी, कंपन और संधि प्रसारण के तरीके से मालिश कराएं। इससे मांस-पेशियां पुष्ट होती हैं। रक्त संचार सुचारू रूप से चलता है। इससे तनाव, अवसाद भी दूर होता है। शरीर कांतिमय बनता है।

(4) व्रत : जीवन में व्रत का होना जरूरी है। व्रत ही संयम, संकल्प और तप है। आहार-विहार, निंद्रा-जाग्रति और मौन तथा जरूरत से ज्यादा बोलने की स्थिति में संयम से ही स्वास्थ्य तथा मोक्ष घटित होता है।

(5) योग हस्त मुद्राएं : योग की हस्त मुद्राओं को करने से जहां निरोगी काया पायी जा सकती हैं वहीं यह मस्तिष्क को भी स्वस्थ रखती है। हस्तमुद्राओं को अच्*छे से जानकर नियमित करें तो लाभ मिलेगा।

(6) ईश्वर प्राणिधान : एकेश्वरवादी होने से चित्त संकल्पवान, धारणा सम्पन्न तथा निर्भिक होने लगता है। यह जीवन की सफलता हेतु अत्यंत आवश्यक है। जो व्यक्ति ग्रह-नक्षत्र, असंख्य देवी-देवता, तंत्र-मंत्र और तरह-तरह के अंधविश्वासों पर विश्वास करता है, उसका संपूर्ण जीवन भ्रम, भटकाव और विरोधाभासों में ही बीत जाता है। इससे निर्णयहीनता का जन्म होता है।

(7) ध्यान : ध्यान के बारे में भी आजकल सभी जानने लगे हैं। ध्यान हमारी ऊर्जा को फिर से संचित करने का कार्य करता है, इसलिए सिर्फ पांच मिनट का ध्यान आप कहीं भी कर सकते हैं। खासकर सोते और उठते समय इसे बिस्तर पर ही किसी भी सुखासन में किया जा सकता है।

(8). प्रार्थना : बहुत से लोग हैं जिनका मन ध्यान में नहीं लगता उन्हें अपने ईष्ट की प्रतिदिन प्रार्थना करना चाहिए। यहां स्पष्ट कर दें की पूजा नहीं प्रार्थना करें। ईष्ट के चित्र के समक्ष दीया या अगरबत्ती जलाकर, हाथ जोड़कर कम से कम 10 मिनट तक उनके प्रति समर्पण का भाव रखकर उनकी स्तुति करने से मन और मस्तिष्क में सकारात्मकता और शांति का विकास होता है जिससे व्यक्ति के जीवन में शुभ और लाभ होने लगता है।

(9) स्वाध्याय : स्वाध्याय आत्मा का भोजन है। स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन करना। आप स्वयं के ज्ञान, कर्म और व्यवहार की समीक्षा करते हुए पढ़ें वह सब कुछ जिससे आपके आर्थिक, सामाजिक जीवन को तो लाभ मिलता ही हो, साथ ही आपको इससे खुशी *भी मिलती हो। तो बेहतर किताबों को अपना मित्र बनाएं और स्वयं के मन को बेहतर दिशा में मोड़ें।

(10) सत्य : सत्य में बहुत ताकत होती है यह तो सुनते ही आए हैं, लेकिन कभी आजमाया नहीं। अब आजमाकर देखें। योग का प्रथम अंग ‘यम’ है और यम का ही उप अंग है सत्य।

जब व्यक्ति सत्य की राह से दूर रहता है तो वह अपने जीवन में संकट खड़े कर लेता है। असत्यभाषी व्यक्ति के मन में भ्रम और द्वंद्व रहता है, जिसके कारण मानसिक रोग उत्पन्न होते हैं। असत्य या झूठ बोलने से व्यक्ति की प्रतिष्ठा नहीं रहती और लोग उसकी सत्य बात का भी भरोसा नहीं करते।

Sab Kuch Gyan से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.