आज है शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त विधि से करें पूजा हर रोग हर लेंगी शरद पूर्णिमा की चंद्र किरणें
चंद्र किरणें हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का बहुत बड़ा महत्व है। शरद पूर्णिमा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महालक्ष्मी का जन्म होने के साथ इस दिन चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करता है। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन छोटासा उपाय करने से बड़ी-बड़ी विपत्ति टल जाती हैं। शरद पूर्णिमा का व्रत विशेषकर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन घर में जागरण करने से भी धन-संपत्ति में लाभ मिलता है।
शरद पूर्णिमा की चंद्र किरणें
शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर मंदिर में दान करने से भी लाभ मिलता है।
माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चांद की चांदनी से अमृत बरसता है।
पूजा करने के बाद रात को 12 बजे के बाद अपने परिवार के लोगों को खीर का प्रसाद बांटना चाहिए।
यदि आप शरद पूर्णिमा के दिन उपवास -व्रत रखते हैं
तो आपको माता लक्ष्मी तथा चंद्र की पूजा करनी चाहिए।
महालक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करने चाहिए। और लाल रंग के वस्त्र पर ही
मां लक्ष्मी को आसन देना चाहिए। और उसके बाद लाल पुष्प, धूपबत्ती और कपूर से
मां लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। साथ ही उसके बाद आप संकल्प लें
और फिर लक्ष्मी चालीसा और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं।
और उसके बाद आप मां लक्ष्मी की आरती करें।
कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणें अमृत के समान होती हैं।
और शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणें हम लोगों के स्वास्थ्य और
समृद्धि के लिए बहुत लाभकारी होती हैं। शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान में चावल की
खीर बनाने और उस खीर को खुले आसमान के नीचे कुछ घंटे तक
रखकर रात्रि के 12 बजे के बाद खाना चाहिए। ऐसा करने से सुख-समृद्धि तथा
मान-सम्मान और धन-धान्य की वृद्धि होती है।
वर्ष 2020 में शरद पूर्णिमा, शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा – 30 अक्टूबर 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 30 अक्टूबर 2020, शाम 05:45 बजे।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 31 अक्टूबर 2020, रात्रि 08:18 बजे।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय- शाम 05:11 बजे।
हिन्दू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने से
सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। और साथ ही व्यक्ति की
सभी समस्याओं से उसे निजात मिल जाती है।
इस व्रत को कामुदि व्रत भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है
कि शरद पूर्णिमा के दिन जो भी विवाहित स्त्रियां संतान प्राप्ति के उद्देश्य से भी व्रत रखती हैं
तो उसे निश्चित ही संतान की प्राप्ति होती है। और साथ ही माताएं अपने बच्चों की
दीर्घ आयु के लिए भी शरद पूर्णिमा का व्रत रखती हैं।
यदि कुवांरी कन्या शरद पूर्णिमा का व्रत रखती हैं
तो उन्हें सुयोग्य और उत्तम वर की प्राप्ति होती है।