बढती उम्र में तनाव से बचने के उपाय
अधेड़ावस्था की समस्याओं और उनके तनावों से बचने का सर्वश्रेष्ठ मार्ग यह है कि हर विषय में संतुलन बनाए रखा जाए। इसके लिए आप इस सत्य को सहज रूप में स्वीकार करें कि अधेड़ होना कोई बुरी बात नहीं बल्कि यह प्राकृतिक नियम है। आपके पास अपने व्यवसाय और कार्यो का वह अनमोल अनुभव होता है जो युवाओं के पास नहीं होता। आप इस अनुभव और कार्यकुशलता का लाभ उटाकर अपन क्षेत्र में प्रंशसनीय उन्नति कर धन-यश प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए सबसे आवश्यक बात यह है कि शारीरिक-मानसिक स्वास्थ्य को ठीक रखा जाए। अतः स्वास्थ्य रक्षा के नियमों का पालन पूरी दृढ़ता से करिए।
नित्य नियम से अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्यायाम, प्राणायाम और ध्यान अवश्य कीजिए। प्रदूषित जलवायु और वातावरण से, जहां तक संभव हो, दूर रहिए। सात्विक तथा पौष्टिक भोजन करिए। दिन में भोजन करने के बाद कम से कम आधा घंटा विश्राम करिए। जल्दबाजी और नकारात्मक विचारों को अपने से दूर रखिए। अपनी वेश-भूषा स्वच्छ, सुंदर और अवसरानुकूल रखिए। परिवार के सदस्यों को थोड़ा बहुत समय अवश्य दीजिए। पत्नी में विशेष रूचि लीजिए, उसके कार्यो की प्रशंसा करिए। सेक्स और दाम्पत्य जीवन में उचित रूचि बनाए रखिए। मित्रों, रिश्तेदारों और समाज के कार्यो में उचित सहयोग दीजिए, पर उतना ही कि वह जीवन के संतुलन को गड़बड़ा नहीं करे। प्रतिदिन किसी न किसी प्रेरणापूर्ण पुस्तक के चार-पांच पृष्ठ अवश्य पढ़िए। मुस्कुराते रहने और जी खोलकर हंसने का अभ्यास करिए। अपने बच्चों के साथ खेलिए। अपनी रूचि के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने से अधेड़ उम्र की नीरसता समाप्त होती है।
ऐसे सज्जनों से मित्रता बढ़ाइए जिनका स्वभाव हंसमुख है और जो आशा, विश्वास एवं उत्साह से भरपूर रहते हैं। परमात्मा की कृपा पर विश्वास रखिए। नित्य प्रंदह मिनट ध्यान लगाइए। सप्ताह में तीन-चार दिन अपना मनपसंद खेल अवश्य खेलिए। खुले मैदान में खेले जाने वाले खेल-कूदों में भाग लेने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। इससे स्वस्थ मनोरंजन होता है। और तन-मन में नवीन सफुरती का संचार भी।
स्मरण रखिए कि आप शरीर और मन-मस्तिष्क की शक्तियों का जितना उपयोग करते रहते हैं, वे उतनी ही विकसित होती जाती है। इसके विपरित शरीर तथा मस्तिष्क का उचित उपयोग न करने से उनकी शक्तियां क्षीण होती हैं और एक दिन पूरी तरह समाप्त भी हो जाती है।