यह घास स्वाद में अनूठा होता है और कई अद्भुत गुणों से भरपूर होता है इस घास का नाम “चांगेरी” है इसकी बनावट फूलों के समान होती है इसका उपयोग प्राचीन समय से ही पेट की बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता है, तो चलिए शुरू करते हैं।
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चांगेरी का आयुर्वेदिक, चरक संहिता और सुश्रुत संहिता में भी इसका वर्णन किया हुआ है इसके पत्ते एसिडिक प्रकृति के होते हैं सूजन आने पर चांगेरी का सेवन करना चाहिए जल्दी आराम मिलता है इसके पत्तों को शक्कर के साथ पीसकर शरबत बनाकर पी जाए और इस तरह इसका सेवन 1 हफ्ते के लिए करते रहे इससे मूत्राशय की सूजन दूर होती है और इसके साथ-साथ बुखार से भी राहत मिल जाती है त्वचा के रोगों में प्रयोग किया जाए तो सभी प्रकार के त्वचा के रोगों से निजात मिल जाती है।
अगर आपको भी कोई त्वचा से जुड़ा रोग है तो इसके पंचक का रस निकालें और इसके अंदर काली मरीज का चूर्ण और घी मिलाकर सेवन करें और ऐसा कुछ समय के लिए करते रहे सभी प्रकार के त्वचा रोग दूर हो जाएंगे अगर किसी कारण आपको घाव हो गया है और वहां सूखने का नाम ही नहीं ले रहा तो चांगेरी का प्रयोग करें इसके लिए इसके पंचायत को पीस लें और घाव वाले स्थान पर लगाएं इससे घाव की जलन और दर्द दोनों ही दूर हो जाएंगे और करीब 2 से 3 दिनों में ही घाव सूख जाएगा।
अगर आपके शरीर के किसी भी अंग में सूजन आ गई है और उससे दर्द और जलन हो रही है तो चांगेरी के पत्तों को पानी के साथ पीस लें और पोटली की तरह बनाकर सूजन वाले स्थान पर बांधे इससे सूजन का दर्द और जलन दोनों ही दूर हो जाते हैं और सूजन भी उतर जाती है सिरदर्द की समस्या में भी चांगेरी का प्रयोग बेहद लाभकारी होता है चांगेरी के रस के अंदर प्याज का रस मिलाकर सिर पर लेप करें इसका लेप करने से सिर दर्द दूर हो जाता है अगर आपको भूख नहीं लगती है इसके पत्तों की कढ़ी बनाकर खानी चाहिए इससे भूख खुलकर लगती है और सभी प्रकार की पाचन संबंधी समस्याएं खत्म हो जाती है इसकी पत्तियों का रोजाना सेवन किया जाए तो शरीर मजबूत बनता है।