कारगिल के पास बने इस चिकतन किले के इस राज को शायद बहुत ही कम लोग जानते होंगे
दर्शनीय स्थल। हिमालय के बहुत ऊपर, कारगिल क्षेत्र के बॉर्डर से कुछ घंटों की ड्राइव, बड़े श्रीनगर लेह हाईवे से उत्तर की तरफ जाते हुए एक उजाड़ जगह किसी जमाने में एक खूबसूरत किला था। कहा जाता हैं की वह लेह पैलेस से भी लम्बा और पुराना किला था। चिकतन किले की कई रहस्यमई बातें है। खूबसूरत जगह पर बने इस किले की कहानियाँ इसके बनने, कई अशुभ और हिंसक समारोह, जादुई बातें और इसके खत्म होने में बनी हुई है। बुलिस्तान के राजा ताहतन खान जो भाग गया था क्योंकि उसे मारने का प्रयास किया गया था, उन्होंने चिकतन क्षेत्र में सहारा लिया। वह उस राज्य से काफी प्रभावित हुआ और उसने वह किला बनाने के बारे में 8वीं सदी में सोचा लेकिन वह छोटा किला ही बना सका।
16वीं शताब्दी में बने इस किले को बाल्टी के मजदूरों ने बनाया था और यह कई राजाओं का घर बना। आज इस अनदेखे और प्रकृत्ति के वार से यह किला एक मलबे में तब्दील हो गया है।
चिकतन किला वादी के अन्दर स्थित है और इसके साथ इंडस नदी बहती है और पीछे पहाड़ आते हैं। आर्किटेक्ट के डिजाइन को ध्यान में रखते हुए कारपेंटर शिंखें चन्दन ने किले को बनाने में टिम्बर का इस्तेमाल किया ताकि वह छतों के आकार को सहारा दे सके और उसने दरवाजों और खिड़कियों के लिए भी टिम्बर का इस्तेमाल किया।
यह किला एक जमाने में लद्दाख और तिब्बतियन आर्किटेक्चर का मास्टरपीस था जो ल्हासा, तिब्बत में काफी चर्चित था। इसमें एक घूमने वाला कमरा भी था जो हवा के प्रभाव से घूमता था। चिकतन पैलेस में राजा तब तक बसे हुए थे जब तक जम्मू के डोगरा राजा ने उस क्षेत्र को हड़प नहीं लिया। उसने राजा के प्रभाव को कम करते हुए किला को खत्म करना शुरू किया।
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