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टीबी सहित सैकड़ों रोगों के लिये किसी वरदान से कम नहीं अडुलसा का ये पौधा, एक बार जरूर पढ़ें

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पहली विधी

अडूलसा के फुल क्षयरोग खून गर्मी के लिये बढा फायदेमंद होता है. अडूलसा के सेवन से हृदय, कफ, पित, खून के रोग, उल्टी, सांस, खासी इन सभी रोगो का अडूलसा काल है.क्षयरोग यानी टी.बी इस रोग से कोई पिडीत है एैसे पिडीत को 15 ग्राम की मात्रा में अडूलसा के फुलो का चूर्ण, मिश्री के चूर्ण में मिलाकर एक कप दुध के साथ सुबह शाम नियमित रूप से सेवन करणे से क्षयरोग में फायदा होगा.

दुसरी विधी

अडूलसा के पत्तो का अदा लीटर रस निकालकर उस में 250 ग्राम मिश्री मिलाकर धीमी आचपर गर्म करे जब ये रस गाढा बनेगा तब उस में 50 ग्राम छोटी पीपल का चूर्ण मिलाये उस में गाय का घी 100 ग्राम मिलाये और 100 ग्राम शहद मिलाये ये दवा ठंडी होने के बाद सुबह शाम 2-2 चमच खिलाने से क्षयरोग में फायदा होगा.अक्सर खासी से अगर कोई परेशान रहेता है एैसे पिडीत को दमा होता है अडूलसा के सुखे पत्तो का चूर्ण चिलीम या सफेद कागद में बिडी तरह बनाकर धूम्रपान करणे से दमा रोग में फायदा मिलता है.

तीसरी विधी

अडूलसा के पत्तो का एक चमच रस निकालकर उस में दो लोंग का चूर्ण मिलाकर सुबह शाम सेवन करणे से दमा में लाभ मिलता है. तिसरी विधी अडूलसा, अंगूर, हरड इन तीनो का काढा शहद में मिलाकर पिणे से दमा कम होता है.

चौथी विधी

अडूलसा के रस में तालीस पत्र का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ चाटणे से दमा और गले की खीच खीच कम होती है. पाचवी विधी अडूलसा के सुखे पत्ते का चूर्ण, धतुरे के पत्तो का चूर्ण एक साथ मिलाकर पलस के सुखे पत्ते में डालकर उस की बिडी बनाकर धूम्रपान करे इससे दमा रोग में लाभ मिलेगा. छटी विधी अडूलसा के जड का चूर्ण, अदरक का रस एक साथ मिलाकर सेवन करणे से दमा जैसी बिमारी तुरंत ठीक होती है.

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