आज हम आक पौधे के औषधी गुण जानेंगे। यह पौधा बंजर धरती, जंगल और सड़कों के किनारे आसानी से पनप जाता है। ज्योतिष में भी इसका महत्व बताया है। यह एक मृदु उपविष है। आयुर्वेद में कई असाध्य और हठी रोगों के लिए इसका उपयोग बताया गया है। ये पौधा 120 सेमी से 150 सेमी लम्बा होता है।
मदार दो तरह का होता है। स्वते मदार और कान्तिक मदार। सफेद मदार के पौधे में श्री गणेश जी का वास माना जाता है। जिस घर में यह पौधा लगा होता है, वहां किसी भी प्रकार के तंत्र-मंत्र या जादू-टोने का असर नहीं हो पाता है। मदार में अनेक औषधीय गुण भी विद्यमान होते हैं।
आक अथवा मदार का उपयोग आयुर्वेद, होमियोपैथी और एलोपैथी सभी में किया जाता है। इसे मंदार, आक, आकड़ा, अर्क, और अकौत के नाम से भी जाना जाता है। आक का वानस्पतिक नाम कैलोट्रोपीस जाइगैण्टिया है।
आक पौधे के औषधि गुण:
1.पथरी: आकड़े के 10 फूल पीसकर 1 गिलास दूध में घोलकर प्रतिदिन सुबह 40 दिन तक पीने से पथरी निकल जाती है।
2. बाला रोग: मराठी भाषा में इस बीमारी को नारू कहते है। तिल का तेल गर्म करके बाला निकलने के स्थान पर लगायें। आकड़े का पत्ता गर्म करके उस पर यही तेल लगाकर बांध दें। आकड़े के फूल की डोडी के अंदर का छोटा टुकड़ा गुड़ में लपेटकर खाने से बाला नष्ट हो जाता है।
3. खाज-खुजली के लिए: आक के 10 सूखे पते सरसों के तेल में उबालकर जला लें। फिर तेल को छानकर ठंडा होने पर इसमें कपूर की 4 टिकियों का चूर्ण अच्छी तरह मिलाकर शीशी में भर लें। खाज-खुजली वाले अंगों पर यह तेल 3 बार लगाएं।
इसके अलावा मदार के और भी फायदे है। इसके फूल भगवान शिव को बहुत ज्यादा प्यार होते है। हुनमान जी की पूजा में इसके पतों का उपयोग किया जाता है।