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डॉलर की दादागीरी को ऐसे दूर करेगी मोदी सरकार

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भारत और रूस के बीच एक बड़ा रक्षा समझौता हुआ है। इसमें S-400 मिसाइल सिस्टम भी शामिल है। भारत सरकार ने वर्ष 2020-21 में इसके लिए रूस को 11,500 करोड़ रुपये का भुगतान किया। भारत और रूस के बीच संबंध हमेशा से मजबूत रहे हैं। भारत रूस से हथियारों के साथ-साथ तेल भी आयात करता है। भारत ने रूस से आयातित तेल के लिए भी भुगतान करना शुरू कर दिया है। भारत से तीन तरह से पैसा दिया जाता है। पहली रूसी रूबल मुद्रा है, दूसरी चीनी युआन मुद्रा है और तीसरी संयुक्त अरब अमीरात दिरहम है। जिसके माध्यम से भुगतान किया जा रहा है।

दुबई स्थित व्यापारियों द्वारा खरीदे गए रूसी तेल के लिए भारतीय रिफाइनरों ने अमेरिकी डॉलर के बजाय संयुक्त अरब अमीरात की मुद्रा दिरहम में भुगतान करना शुरू कर दिया है। भारत ने रूस से 28,000 करोड़ रुपए के हथियार खरीदे हैं। इसका भुगतान रूबल या दिरहम में भी किया जाएगा।

दोनों देशों के अधिकारी पिछले साल मिले थे

रूस से खरीदे गए हथियारों और तेल का भुगतान डॉलर के बजाय अन्य मुद्राओं में करने का फैसला पिछले साल किया गया था। जब दोनों देशों के रक्षा और वित्त मंत्रालयों के अधिकारियों ने कर भुगतान पर चर्चा के लिए बैठक की, तो इस मामले को आरबीआई के साथ उठाने के लिए भी कहा गया। डॉलर को रूस को भुगतान से पूरी तरह बाहर रखा गया है।

यूक्रेन युद्ध के कारण रूस पर प्रतिबंध लगाए गए थे

दरअसल, यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के चलते अमेरिका ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए हैं। बैंकिंग संबंधी प्रतिबंध भी हैं। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन और कई यूरोपीय देशों ने भी रूस के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक रूस को डॉलर की जगह किसी और मुद्रा में भुगतान कर डॉलर की मजबूती को कम करना होगा। क्योंकि अभी तक सभी भुगतान अमेरिकी डॉलर में किए जाते हैं।

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