आयुर्वेदिक : किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है यह फल – लगभग सम्पूर्ण भारत में पायी जाने वाली वनस्पति है जो अधिकतर आद्र और छायादार जगहों पर उगती है, इसके पौधे की अधिकतम लम्बाई 2 से 2.5 फीट तक हो सकती है। आयुर्वेद के नजरिये से देंखे तो यह दिव्य औषधि है जिसे संस्कृत में काक्माची कहते है।
यह हर जगह अपने आप ही उग जाती है। सर्दियों में इसके नन्हे नन्हे लाल लाल फल बहुत अच्छे लगते हैं। ये फल बहुत स्वादिष्ट होते हैं और लाभदायक भी होते हैं। इसके फल जामुनी रंग के या हलके पीले -लाल रंग के होते हैं। मकोय फल बाग-बगीचों, नदी नालो के किनारे आदि जगहों पर अपने आप उगता है। बहुत ही कम लोग जानते होगें आखिर यह फल हमें क्या फायदे दे सकता है। मकोय का फल एक चमत्कारिक औषधि है जो कई खतरनाक बीमारियों को खत्म कर सकती है।
अगर नींद न आये तो इसकी 10 ग्राम जड़ का काढ़ा लें। अगर साथ में गुड भी मिला लें तो नींद तो अच्छी आयेगी ही साथ ही सवेरे पेट भी अच्छे से साफ़ होगा।
त्वचा संबंधी रोग जैसे चर्म रोग और खुजली होने पर मकोय की पत्तियों को पीसकर इसके पेस्ट का लेप लगाने से फायदा मिलता है। साथ ही आप मकोय के डंठलों की सब्जी भी खा सकते हैं।
किडनी की बीमारी हो तो मकोय के पंचांग का काढ़ा बना कर सेवन करे। काढ़े के लिए आप 10 ग्राम मकोय का पंचांग ले ले और इसे 250 मिली पानी में डालकर पकाए जब पानी 1/4 रह जावे तब इसे उतार कर ठंडा करले और सुबह शाम सेवन। जल्दी ही किडनी की समस्या में लाभ मिलेगा।