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जिंदगी में सिर्फ एक ही युद्ध हारे थे हनुमान जी, जाने उस युद्ध के बारे मे

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हिंदू धर्म में भगवान हनुमान को एक विशेष दर्जा प्राप्त है और यह भी कहा जाता है कि जहां पर भी भगवान राम की कथा होती है वहां पर हनुमान जरूर पहुंचते हैं. दुनिया के विनाश के बारे में भी यह कहा गया है कि जब तक दुनिया में भगवान राम की कथा होती रहेगी तब तक इस पृथ्वी का विनाश नहीं होगा और साथ में हनुमान भी यहीं पर निवास करेंगे.

एक बार मछंदर नाथ की इच्छा हुई कि वह भगवान राम के द्वारा बनाया गया रामसेतु जरूर देखें तो इस कार्य के लिए पृथ्वी पर पहुंच गए. रामसेतु को देखकर वह बहुत ज्यादा प्रसन्न होते हैं और वहीं पर स्नान करने लगते हैं तभी श्री हनुमान ने एक बूढ़े वानर का रूप बनाया और वहां पर पहुंच गए. हनुमान जी ने मछंदर नाथ की परीक्षा लेने की सोची. तभी वहां पर मायावी रूप से बारिश होने लगी और श्री हनुमान जी इस बारिश से बचने के लिए एक पत्थर को तोड़कर गुफा बनाने की कोशिश करने लगे.

तब मछंदरनाथ में हनुमानजी का मजाक उड़ाते हुए कहा कि अरे बूढ़े वानर यह तुम क्या कर रहे हो तुम इस पत्थर को नहीं तोड़ पाओगे. तब हनुमान जी ने जब उनसे उनका नाम पूछा तो तब मछिंद्रनाथ ने बताया कि वह एक सीध और शक्तिशाली पुरुष है और दुनिया में कोई भी कार्य उनके लिए असंभव नहीं है. मछंदर नाथ हनुमान जी की माया से सम्मोहित हो चुके थे. तब हनुमान जी ने कहा कि उन्होंने अपने भगवान हनुमान की बहुत ज्यादा सेवा की है जिससे खुश होकर उन्होंने अपनी शक्ति का 1 प्रतिशत हिस्सा उनको दान के रूप में दे दिया है. अगर तुम मुझे हरा दो तो मैं तुम्हें इस दुनिया का सबसे शक्तिशाली पुरुष मान जाऊंगा या फिर तुम खुद को योगी कहलवाना छोड़ देना.

दोनों के बीच युद्ध प्रारंभ हो गया और भगवान श्री हनुमान ने एक भारी पत्थर को उठाकर उनकी तरफ फेंक दिया तब मछिंद्रनाथ ने अपने मंत्र का प्रयोग करके उस पत्थर को तोड़ दिया जिससे हनुमान जी को बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया. उसके बाद मछंदर रात ने कुछ पाने की बुंदे ली और मंत्रोच्चारण करके उन्हें हनुमान जी की तरफ फेंक दिया जिससे हनुमान जी लाचार हो गए और चलने लायक भी नहीं रहे.

हनुमान जी एक पत्थर को उठाने की कोशिश करते हैं लेकिन वह इतने कमजोर हो चुके होते हैं कि उस पत्थर को भी नहीं उठा पाते हैं तभी वहां पर भगवान पवन देव पहुंच जाते हैं और हनुमान को मच्छिंद्रनाथ से माफ़ी मांगने के लिए कहते हैं. हनुमान जी अपने वास्तविक रूप में आ जाते हैं और मछंदर नाथ से क्षमा याचना करते हैं. यह सुनकर दोनों आपस में गले लग जाते हैं.

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