centered image />

नजला और जुकाम दोनों की एक ही है दवा, आज ही करे इसका सेवन 

0 1,242
Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now

साधारणतया लोग नजला और जुकाम को साधारण रोग समझते हुए उसकी चिकित्सा कराने में आलस्य करते है।

प्रत्युत परवाह भी नहीं करते है। हांलाकि विद्वान वैद्यों और हकीमों ने इन्हें तमाम बीमारियों की जड़ बतलाया है।

इनकी चिकित्सा में लापरवाही करने से अत्यन्त घातक रोग उत्पन्न हो जाने आश्ंाका रहती है, जैसा कि अनुभूत

योग चिन्तामणि पुस्तक में विवरण दिया गया है। यहां केवल इतना लिख देना ही प्रयाप्त समझते है कि नजून दिमागी

यदि नासिका से बहे तो प्रतिस्याय जुकाम और यदि अन्दर गिरे तो नजला कहलाता है। इन दोंनो रोगों के विशेषातिविशेष

और अनक वार के अनुभूत तथा परीक्षित योग दो अनुभूत योग चिकित्सा में प्रकाशित हो चुके है, जो सम्भवत पाठको की

दृष्टि से गुजरे होगे। अब यहां प्रस्तुत लेख के अनुरूप वह प्रयोग भेट किये जाते है। जो राम-बाण होने के अतिरिक्त एकौषधि

से सम्बन्ध रखते है।

नजला जुकाम की दवा 

निम्नलिखित औषधि अनुभव अनेक बार हो चुका है और प्रायः ही सर्वत्र लाभदायक सिद्ध हुई है, फिर विशेषता यह कि मजेदार होने के अतिरिक्त चाय की प्रतिनिधि है, बल्कि चाय में जो विषाक्त दोष पाये जाते है-वह इसमें नाम मात्र को भी नही नजला जुकाम के लिए लाभदायक होने के अतिरिक्त मस्तिष्क बलदायक एक दृष्टि हितकर तथा कोष्ठ बद्धता नाशक भी सिद्ध होती है। हम तो अनेक बार शौकिया इस चीज को इस्तेमाल कर लिया करते है।

प्रयोग विधि

पानी पावभर लेकर अग्नि पर रखे, जब खूब उबलने लगे तो उसमे 4 माशा बनफशा के पत्ते डालकर तत्काल नीचे उतारकर रख लें और 5 मिनट तक बर्तन के मुंह को बन्द रखें, तद्पश्चात छानकर थोड़ा सा दूध और उचित परिमाण में मिश्री मिलाकर गरम 2 चाय की भान्ति घूंट करके पिलावें। बस, सारे दिन जब भी तृपा लगे यही वस्तु ताजा तैयार करके पिलाते रहे। अन्य कोई वस्तु खाने या पीने को न दे। इससे एक ही दिन में चित स्वस्थ हो जाता है और जब तक पूर्ण लाभ न हो यही चिकित्सा पद्धति आरम्भ रखे। अनेक बार का अनुभूत और रामबाण योग है।

Join Telegram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Ads
Ads
Leave A Reply

Your email address will not be published.