लाखों की है ये छिपकली मांस में छिपे हैं ऐसे गुण जानिए इसकी कीमत
लाखों की है ये छिपकली आप जानते ही होगे कि छिपकलियां रेप्टाइल कैटेगरी में आती हैं। ये जो छिपकली है, ये गेको जाति की है और इसकी प्रजाति का नाम टाउकेई छिपकली है।पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले से एक तस्कर गिरफ्तार किया गया है,पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना जिले में एक जगह है बाडू। ये जगह मद्यमग्राम पुलिस आउटपोस्ट के अंडर आती है। इसी इलाके में अतीउल्लाह नाम का एक तस्कर अपने साथियों के साथ इस छिपकली को पश्चिम बंगाल के रास्ते भारत से बाहर ले जाने की फिराक में था। बांग्लादेश के रास्ते इंटरनेशनल मार्केट में पहुंचने पर ये छिपकली 1 करोड़ रुपए तक में बिकती।
ये छिपकली सबसे ज़्यादा एशिया और पैसिफिक आईलैंड में पाई जाती है।
एशिया में खासतौर साउथ-ईस्ट एशिया में, जहां भारत, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश जैसे देश आते हैं।
फिलिपींस और इंडोनेशिया में भी ये मिलती है। कई देशों में शहरों के बढ़ने
और जंगलों के खत्म होने से इसका अस्तित्व खतरे में पड़ रहा है।
साउथ-ईस्ट एशिया में अच्छी किस्मत और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
इन्हें लेकर कई लोक-कथाएं भी हैं। एशिया में इनकी तस्करी सबसे ज़्यादा दवाइयां बनाने के लिए होती है।
ऐसा माना जाता है कि ये किडनी और फेफड़ों को मज़बूत बनाती हैं।
इनका तेल लोग त्वचा पर लगाते हैं। हालांकि, मेडिकल साइंस ऐसे किसी दावे की पुष्टि नहीं करता है।
ज़्यादा शिकार की वजह से फिलिपींस में ये खत्म होने की कगार पर पहुंच गई हैं।
फिलिपींस में इनकी तस्करी पर 12 साल तक कैद हो सकती है।
भारत के वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन ऐक्ट 1972 के शेड्यूल 4 के मुताबिक इन छिपकलियों का
बिजनेस करना अवैध है। ऐसा करने पर तीन से सात साल तक की कैद सकती है हो।
इसके अलावा साउथ-ईस्ट एशिया के और भी कई देशों में इनके शिकार
और इनकी स्मगलिंग को अपराध की श्रेणी में रखा गया है