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संजीवनी बूटी का दूसरा रुप है यह पेड़, महिलाएं और परुष जरुर जान लें आ सकती है आपके काम

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आयुर्वेद में ऐसी बहुत सी जड़ी बूटियों का वर्णन किया गया है जो हमारी सेहत के लिए बहुत गुणकारी होती है और इनके सेवन से हमारे शरीर पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नहीं पड़ता है । आज हम एक ऐसे ही जड़ी बूटी के बारे में बताने वाले हैं उसका नाम है गुल्लर । गूलर का पेड़ बहुत से रोगों में लाभकारी होता है और इसमें रोग निवारण के गुण बहुत अधिक मात्रा में होते हैं । आइए जानते हैं गूलर से होने वाले फायदों के बारे में

The second form of the Sanjivani herb is that it can be known to the tree, women and the other.

  • गूलर का कच्चा फल कसैला एवं दाहनाशक है। पका हुआ गूलर रुचिकारक, मीठा, शीतल, पित्तशामक, तृषाशामक, श्रमहर, कब्ज मिटाने वाला तथा पौष्टिक है। इसकी जड़ में रक्तस्राव रोकने तथा जलन शांत करने का गुण है। गूलर के कच्चे फलों की सब्जी बनाई जाती है तथा पके फल खाए जाते हैं। इसकी छाल का चूर्ण बनाकर या अन्य प्रकार से उपयोग किया जाता है।

The second form of the Sanjivani herb is that it can be known to the tree, women and the other.

  • गूलर के नियमित सेवन से शरीर में पित्त एवं कफ का संतुलन बना रहता है। इसलिए पित्त एवं कफ विकार नहीं होते। साथ ही इससे उदरस्थ अग्नि एवं दाह भी शांत होते हैं। पित्त रोगों में इसके पत्तों के चूर्ण का शहद के साथ सेवन भी फायदेमंद होता है।

  • गूलर की छाल ग्राही है, रक्तस्राव को बंद करती है। साथ ही यह मधुमेह में भी लाभप्रद है। गूलर के कोमल−ताजा पत्तों का रस शहद में मिलाकर पीने से भी मधुमेह में राहत मिलती है। इससे पेशाब में शर्करा की मात्रा भी कम हो जाती है।

  • गूलर के तने को दूध बवासीर एवं दस्तों के लिए श्रेष्ठ दवा है। खूनी बवासीर के रोगी को गूलर के ताजा पत्तों का रस पिलाना चाहिए। इसके नियमित सेवन से त्वचा का रंग भी निखरने लगता है।

  • हाथ−पैरों की त्वचा फटने या बिवाई फटने पर गूलर के तने के दूध का लेप करने से आराम मिलता है, पीड़ा से छुटकारा मिलता है।

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